जयपुर

अंडरग्राउंड मेट्रो को मिला सेफ्टी सर्टिफिकेट

जयपुर। जयपुर मेट्रो रेल परियोजना (जेएमआरसी) की ओर से बनाए गए चांदपोल से बड़ी चौपड़ के अंडरग्राउंड मेट्रो फेज वन-बी प्रोजेक्ट निर्माण के बाद इस प्रोजेक्ट को रेल सेफ्टी कमिश्नर (सीआरएस) की ओर से सेफ्टी सर्टिफिकेट मिल गया है। केंद्र सरकार की ओर से मेट्रो संचालन की अनुमति मिलने के बाद मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो चलाई जा सकेगी।

कोरोना गाइडलाइन की वजह से अभी देशभर में मेट्रो सेवा बंद है। केंद्र सरकार की ओर से मेट्रो सेवा शुरू करने के निर्देश आने के साथ ही सरकार की ओर से इसका उद्धाटन कराया जाएगा और आमजन के लिए यह सेवा शुरू हो जाएगी। सीआरएस ने प्रोजेक्ट में कुछ मामूली खामियां बताई थी, जिन्हें दूर कर दिया गया है। अब कभी भी सीआरएस की ओर से कोई भी प्रतिनिधि आकर इस प्रोजेक्ट का सर्वे कर सकता है।

इस रूट के चालू होने से अब यात्री मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक और परकोटे के नागरिक मानसरोवर तक यात्रा कर पाएंगे। शहर का परकोटा क्षेत्र सबसे प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है, इसी के चलते परकोटे में अंडरग्राउंड मेट्रो के निर्माण का निर्णय लिया गया था। जयपुर मेट्रो का हमेशा से दावा रहा है कि अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट के कारण परकोटे में व्यापार को बूस्ट मिलेगा और इस प्रोजेक्ट से परकोटे की विरासत पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

मेट्रो फेज वन-बी 2 किलोमीटर लंबा है और इसमें छोटी चौपड़ व बड़ी चौपड़ पर अंडरग्राउंड स्टेशन का निर्माण किया गया है। वर्ष 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद बनी भाजपा सरकार ने एक बार तो इस प्रोजेक्ट को रोक दिया था, लेकिन बाद में सरकार ने इसके निर्माण के लिए सहमति जता दी थी।

प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए कई प्राचीन मंदिरों को भी तोड़ा गया था, जिसका भारी विरोध हुआ था और एक धर्म की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थी। पांच साल की समयसीमा में पूरा होने वाला यह प्रोजेक्ट सात साल में जाकर पूरा हुआ है। प्रोजेक्ट पर 1126 करोड़ की लागत आई है।

जयपुर मेट्रो का विरासत को नुकसान नहीं पहुंचाने का एक दावा तो इस प्रोजेक्ट के निर्माण के समय ही धराशायी हो गया, जबकि प्रोजेक्ट निर्माण के लिए खुदाई में निकली कई प्राचीन संरचनाओं को तोड़ दिया गया, वहीं प्राचीन मंदिरों को भी तोड़ा गया। अब इस प्रोजेक्ट से परकोटे के व्यापार को कितना बूस्ट मिलेगा, यह अभी समय के गर्त में है।

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