राजनीति

वजूद की लड़ाई लड़ रहे विधायक, कार्यकर्ताओं में अविश्वास

भाजपा के गढ़ की हिली नींव

जयपुर। राजधानी को कभी भाजपा का गढ़ कहा जाता था, लेकिन निकाय चुनावों से पहले गढ़ की नीवें हिलने लगी है। इस स्थिति के लिए भाजपा के उन नेताओं को कारण बताया जा रहा है, जिन्होंने डेढ़ से दो दशकों तक बड़े पदों को सुशोभित किया, लेकिन अब उनका धरातल खिसका हुआ है। यह बड़े नेता ग्राउंड लेवल पर अपना वर्चस्व स्थापित रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सजग कार्यकर्ताओं के आगे अब इनकी एक भी नहीं चल पा रही है।

भाजपा के नेताओं के खिसके हुए धरातल के पीछे अंदरूनी गुटबाजी और कार्यकर्ताओं का अविश्वास प्रमुख कारण बताया जा रहा है। गुटबाजी तो हर जगह चलती है, लेकिन यदि कार्यकर्ताओं में अविश्वास की भावना आ जाए तो कुछ भी नहीं बचता है। ऐसे समय में संगठन की ढुलमुल नीतियां भी विवाद का कारण बनती जा रही है।

शहर भाजपा की इन स्थितियों का सबसे बुरा प्रभाव नगर निगम हैरिटेज के बोर्ड पर पड़ेगा और कहा जा रहा है कि यह बोर्ड भाजपा के हाथ नहीं आ सकता है। कई अन्य कारण भी है, जैसे प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद परकोटे में विकास कार्य नहीं होने, कचरा, सीवर समस्या, अवैध निर्माण, मंदिरों को तोड़ा जाना, पार्किंग समस्या आदि प्रमुख मुद्दे हैं, जो इन चुनावों में छाए रहेंगे। कार्यकर्ता इन समस्याओं को लेकर काफी नाराज है और कह रहे हैं कि सरकार और बोर्ड होने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हुई थी।

अब बात करें तो हैरिटेज नगर निगम के हवामहल विधानसभा क्षेत्र के नेताजी एक बार पार्षद, एक बार जिलाध्यक्ष और दो बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन उनकी कार्यकर्ताओं पर पकड़ ढ़ीली पड़ी है। क्षेत्र के 26 वार्डों में 15 पर कांग्रेस को एकतरफा जीत मिलती दिखाई दे रही है। वहीं 9 सीटों पर कड़ी टक्कर होगी। इन सीटों पर ब्राह्मण वोटों का रुख हार-जीत तय करेगा कि वह भाजपा के साथ जाते हैं या फिर वर्तमान विधायक महेश जोशी के साथ।

किशनपोल विधानसभा क्षेत्र के भाजपा के बड़े नेताजी एक बार मेयर और तीन बार विधायक बन चुके हैं। इनके क्षेत्र के 21 वार्डों में से 12 पर कांग्रेस की एकतरफा जीत दिखाई दे रही है। वहीं 5 पर भाजपा की तो 5 पर कड़ी टक्कर नजर आ रही है।

सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेताजी एक बार प्रदेश अध्यक्ष और एक बार केबिनेट मंत्री रह चुके हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं पर पकड़ के मामले में वह भी कमजोर नजर आ रहे हैं, हालांकि इस क्षेत्र में भाजपा कुछ अच्छी स्थिति में दिखाई दे रही है और यहां के 24 वार्डों में से 10 पर भाजपा की एकतरफा जीत, 5 पर कांग्रेस की एकतरफा जीत और 9 वार्डों में कड़ी टक्कर नजर आ रही है।

आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेताजी एक बार मेयर, दो बार विधायक और एक बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके क्षेत्र के 25 वार्डों में से 15 वार्ड में कांग्रेस की एकतरफा जीत दिखाई दे रही है। वहीं 5 वार्डों में भाजपा और 5 वार्डों में काँटे की टक्कर नजर आ रही है।

आमेर विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेताजी प्रदेश अध्यक्ष हैं और पहली बार विधायक भी बने हैं। संगठन में इन्होंने काफी लंबा समय बिताया है। इनके क्षेत्र के चार वार्ड में से 3 कांग्रेस के पक्ष में और एक भाजपा के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है।

इतना सबकुछ होने के बावजूद कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर बड़े नेता अपने चहेते लोगों को टिकट दिलाने की जुगत लगा रहे हैं, जो भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है, क्योंकि अब दमन सहने वाले कार्यकर्ता नहीं रहे हैं, जो अब झांसों में आने वाले नहीं है। ऐसे में अब अगर भाजपा अपना गढ़ बचाना चाहती है तो उसे कार्यकर्ताओं की सुनवाई करनी होगी, नहीं तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

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