जयपुर

दुखती रग की जांच कराने से कतरा रहा पुरातत्व विभाग

छह साल पहले हुआ टिकट घोटाला, तीन जांच अधिकारी बदल, कब शुरू होगी जांच

जयपुर। रोग का तुरंत इलाज कराना ही फायदेमंद होता है, नहीं तो रोग नासूर बन जाता है, लेकिन पुरातत्व विभाग रोग का इलाज करने के बजाए उसे पालने में ज्यादा रुचि ले रहा है। ले भी क्यों नहीं इसी में ही अधिकारियों को अपना फायदा नजर आ रहा है।

पुरातत्व विभाग में करीब छह वर्ष पूर्व टिकट घोटाला उजागर हुआ था। यही विभाग की दुखती रग है, जिसकी जांच कराने से वह कतरा रहा है। छह वर्षों में तीन जांच अधिकारी बदलने के बाद अभी तक इसकी जांच शुरू नहीं हो पाई है। विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि कुछ जरूरी कागज नहीं मिले थे इसलिए अब जांच शुरू की जाएगी, लेकिन अभी भी जांच शुरू होगी या नहीं कहा नहीं जा सकता है।

पुरातत्व विभाग में घोटालों का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन सीधे जनता से जुड़े नहीं होने के कारण विभाग के कारनामे जनता के सामने नहीं आ पाते थे। छह वर्ष पूर्व विभाग के जयपुर स्थित प्रमुख स्मारकों विश्व विरासत स्थल जंतर-मंतर और केंद्रीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल में एक करोड़ रुपए से अधिक का टिकट घोटाला उजागर हुआ था। टिकट वेंडिंग मशीनों में डमी टिकट निकालकर इसे अंजाम दिया गया था।

घोटाला उजागर होने के बाद प्रारंभिक जांच की गई और तीन कार्मिकों को इसका दोषी ठहरा दिया गया, जबकि यदि टिकट घोटालों की ईमानदारी से जांच होती तो विभाग में ऊपर तक कईयों पर आंच आ जाती, क्योंकि विभाग में ऊपरी कमाई का सबसे आसान जरिया टिकटों में हेराफेरी करने का है और कई बार यह मामले सामने आ चुके हैं।

जांच में भी लीपापोती

जानकारी के अनुसार इस घोटाले की प्रारंभिक जांच उन अधिकारियों को सौंपी गई, जो मिलीभगत से लंबे समय तक जयपुर में ही पदस्थापित रहे। बाद में इस घोटाले की जांच अधीक्षक बाबूलाल मौर्य को सौंप दी गई, लेकिन जल्द ही उनका तबादला जोधपुर हो गया। इसके बाद जांच कोटा अधीक्षक उमराव सिंह को सौंप दी गई। सिंह के पास वृत्त अधीक्षक के साथ-साथ कोटा और बूंदी संग्रहालय का अतिरिक्त चार्ज भी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि वह किस तरह तीन दायित्व होने के बावजूद जयपुर आकर जांच पूरी करते हैं? साफ नजर आ रहा है कि विभाग इस मामले की जांच में बदनियती रखता है, ताकि जांच को लंबे समय तक लटकाया जा सके।

Related posts

खुशखबरी! खुशखबरी! खुशखबरी! कोरोनाकाल में शुद्ध ऑक्सीजन चाहिए तो नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary) आईये, रिसोर्ट, फार्महाउस बनाने के लिए इको सेंसेटिव जोन में वन विभाग (forest Department) की जमीन उपलब्ध

admin

होली पर थी ब्रांडेड नकली शराब सप्लाई की तैयारी, आबकारी विभाग ने उदयपुर में नकली शराब फैक्ट्री पकड़ी

admin

पहचाने गए हत्यारे..! हत्याकांड की जांच के लिए DGP ने गठित की SIT, हत्यारों पर 5-5 लाख का इनाम

Clearnews