जयपुर। घर में खेल का वातारण और निराशा के दौर में अभिभावकों के समर्थन ने हैंडबॉल खिलाड़ी खिलाडी प्राची गुर्जर को ऐसा प्रोत्साहित किया कि उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व कर देश की झोली में पदक डाल दिए। फिर, राजस्थान सरकार भी क्यों पीछे रहती, उसने भी आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत पुलिस महकमें में सीधी भर्ती के जरिए प्राची को उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त दे दी।
परिवार से मिला प्रोत्साहन
प्राची का कहना है कि उन्हें बीए, एलएलबी व लेबर लॉ में डिप्लोमा करने के बाद भी खेल में अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा था इसलिए वे वर्ष 2014 व 2015 में खेल छोड़कर राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा की की तैयारी करने लगीं। दो बार प्राथमिक परीक्षा भी पास कर ली लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पाने के कारण हताशा घेरने लगी। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर के वेटलिफ्टर व राज्य स्तर पर कबड्डी खिलाडी रहे पिता राजकुमार गुर्जर और राष्ट्रीय स्तर की बॉस्केटबाल खिलाड़ी रही बहिन रितु व राष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी रही बहिन मनीषा ने भी उसे फिर से मैदान में जाने के लिए कहा। वे बताती हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने के साथ ही अल्माटी (कजाकिस्तान) में अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल टूर्नामेंट मे भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उन्हें नेपाल में आयोजित सैफ खेलों में भारतीय टीम में भी उसे चुना गया और टीम ने स्वर्ण पदक जीता। अब राजस्थान में खेलों के लिए नई नीति आने से उन्हें पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्ति मिल गई है।
नई खेल नीति से खिलाड़ियों को मिलेगा बढ़वा
खेल मंत्री अशोक चांदना का कहना है कि वे स्वयं खिलाड़ी रहे हैं और खिलाड़ियों की परेशावी समझते हैं। इसीलिए उन्होंने राजस्थान में खिलाड़ियों को सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए आउट ऑफ टर्न नीति तैयार की। इसी नीति के तहत प्राची सहित कई अन्य खिलाड़ियों को राजस्थान की सरकारी सेना में नियुक्ति दी गई है। उम्मीद है कि इस नीति से खेलों को बढ़ावा मिलेगा और कोई भी खिलाड़ी अपने भविष्य की चिंता में खेलों को नहीं छोड़ेगा।