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किसान आंदोलन 7 वें दिन भी जारी, दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन, 3 दिसंबर को सरकार से होगी चौथे दौर की वार्ता

नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसान धरना और प्रदर्शन सातवें दिन भी जारी रहा। किसानों और सरकार के बीच 3 दिसंबर को चौथे दौर की वार्ता होनी है, इससे पूर्व 2 दिसंबर को सिंधु बॉर्डर पर किसान संगठनों की एक बड़ी बैठक हुई और साझा बिंदुओं पर चर्चा की गई। किसानों के आंदोलन को ट्रांसपोर्टर का भी समर्थन मिला है और उन्होंने समर्थन में 8 दिसंबर से देशव्यापी हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है।  

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए अन्यथा 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।

किसान आंदोन पूरी तरह प्रायोजितः शेखावत

उधर केंद्र सरकार भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और इसका हल निकालने के लिए 2 दिसंबर की शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल की उपस्थिति में बैठक हुई। हालांकि उदयपुर में केंद्रीय मंत्री केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि किसान आंदोलन पूरी तरह प्रायोजित है। साफ दिख रहा है कि  यह डेढ़ राज्यों के किसानों को भड़काकर किया जा रहा है।

भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन के बाद उनके परिवार जन को ढांढस बंधाने उदयपुर पहुंचे शेखावत ने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए किसानों को भ्रमित कर रहे हैं जबकि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए रात-दिन काम कर रही है।

किसानों को उकसा रही है कांग्रेसः रामलाल शर्मा

राजस्थान प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा

राजस्थान किसान महापंचायत के नेतृत्व में राजस्थान के किसान हरियाणा सीमा पर शाहजहांपुर पहुंच रहे हैं। आज ही राजस्थान में एनएसयूआई के विद्यार्थियों ने राजस्थान में सांसदों का घेराव करने का प्रयास किया और उनके निवासों के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। इस बात से नाराज राजस्थान प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस कृषि बिलों पर राजनीति कर किसानों को उकसाने का काम कर रही है और सिर्फ प्रतिपक्ष के नाते विरोध दर्ज करवाने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि एनएसयूआई के कार्यकर्ता कृषि बिलों के बारे में कुछ नहीं जानते और ना ही कृषि के बारे में कुछ जानते हैं। शर्मा ने कहा कि एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को कृषि बिलों के नाम भी नहीं पता और यह भी नहीं पता कि बिलों में प्रावधान क्या है और इन बिलों से किसानों का क्या फायदा और नुकसान होने वाला है। सिर्फ राजनीति करने के लिए विरोध किया जा रहा है।

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