कृषि

किसान आंदोलनः 13 दिसम्बर को राजस्थान के किसानों का जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से होगा दिल्ली मार्च

नये कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर अड़े किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर जमे हुए हैं। सर्दी बढ़ रही है और कुछ किसान बीमारी की दवाएं ले रहे हैं लेकिन वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान आंदोलन के तहत शनिवार, 12 दिसम्बर को जयपुर- दिल्ली राजमार्ग जाम करने का कार्यक्रम था जिसे अचानक रद्द करना पड़ा। लेकिन अब नई रणनीति के तहत रविवार, 13 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से राजस्थान के किसान शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के जरिए दिल्ली चलो मार्च की शुरुआत करेंगे। शाहजहांपुर, रेवाड़ी के आसपास राजस्थान के किसान कई दिनों से एकत्र हो रहे हैं।

14 दिसम्बर को संयुक्त मंच से किसान नेता करेंगे भूख हड़ताल

सिंघु बॉर्डर पर जमे हुए संयुक्त किसान आंदोलन मोर्चा के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों का आंदोलन विफल कराने की कोशिश कर रही है और उसकी ओर से आंदोलन के लोगों को भड़काने की कोशिशें जारी हैं। पन्नू ने कहा कि किसान तब तक अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे जब तक कि तीनों नये कृषि कानून वापस रद्द नहीं किये जाते। उन्होंने कहा कि यदि सरकार एक बार फिर से बातचीत शुरू करना चाहती है, तो हम तैयार हैं, लेकिन हम पहले तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन को जारी रखा जाएगा। किसान कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के संशोधन के पक्ष मे नहीं हैं। पन्नू ने बताया कि सोमवार 14 दिसम्बर से सभी किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर एक ही मंच पर आकर भूख हड़ताल करेंगे।

700 क्या 7000 चौपाल लगाएं, अब कोई फर्क नहीं पड़ने वाला

उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी कृषि काननों को किसानों के बीच लेकर पैदा हुई असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए 700 चौपाल लगाने की बात कह रही है, लेकिन अब 700 क्या 7000 चौपाल भी लगा लें तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। यह काम पहले होना चाहिए था। अब तो सरकार को नए कृषि कानून जो कोठियों में बैठकर बनाए गए हैं, उन्हें रद्द करना ही चाहिए।

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