जयपुर

राजनीतिक नियुक्तियाँ बनेगी कांग्रेस के लिए गलफांस, कार्यकर्ताओं में असंतोष, अब बागियों के कारण मचेगा बवाल

जयपुर। अभी तक भाजपा कार्यकर्ताओ को दरी बिछाने वाले कहकर चिढ़ाने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बुरा हाल होने वाला है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान हालातों को देखते हुए कहीं वह भी दरी बिछाने वाले कार्यकता भर नहीं रह जाएं। यह रोष राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर है। कहा जा रहा है कि अभी तक जो नियुक्तियां की गई है, उनमें निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया गया और वंशवाद व पैराशूटी लोगों को लाभ दिया गया।

कार्यकर्ता अपनी पार्टी से पूछ रहा है कि जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियों की मलाई चटाई गई, उनका कांग्रेस में क्या योगदान रहा है? आचार संहिता हटने के बाद बड़े स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती है, कार्यकर्ताओं को डर है कि पहले बाहरी लोगों ने मलाई चाटी और अब बागी खेमा मलाई चाटने के लिए आगे आ गया है, ऐसे में जो कार्यकर्ता बरसों से कांग्रेस का झंड़ा उठा रहा है, जिसने सड़कों पर जिसने लाठी-डंड़े खाए, जिनका जीवन कांग्रेस के नारे बुलंद करने में निकल गया, उन्हें कब नियुक्तियां पाने का मौका मिलेगा।

विवाद ने जोर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के दौरे को देखते हुए पकड़ा है। माकन गहलोत और पायलट गुट में राजनीतिक नियुक्तियों के बंटवारे के लिए आ रहे हैं, लेकिन कार्यकर्ता कह रहे हैं कि आलाकमान की ओर से प्रदेश में गलत परंपरा डाली जा रही है। जिस पायलट खेमे ने पार्टी से बगावत की, उसी खेमे को राजनीतिक नियुक्तियों से नवाजा जाएगा, तो फिर हमारा नंबर कैसे आएगा?

कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं कि पायलट प्रदेशाध्यक्ष थे, तब उनकी कार्यकारिणी में भी ऐसे लोगों को जगह दी गई, जिनका कांग्रेस में कोई वजूद नहीं था या जो कांग्रेस के प्रति निष्ठावान नहीं थे। रोष का एक प्रमुख कारण आरपीएससी और सूचना आयोग में हुई नियुक्तियां भी है। सरकार की ओर से आरपीएससी में मंजू शर्मा को सदस्य बनाया गया है। वहीं सूचना आयोग में शीतल धनखड़ को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है।

इन दोनों की नियुक्तियों के बाद कुछ कार्यकर्ताओं ने इनकी व इनके परिवार की जन्म कुंडली खंगाल ली। मंजू शर्मा आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास की पत्नि हैं। आप पार्टी छोड़ने के बाद विश्वास का विश्वास भाजपा की ओर ज्यादा है। विश्वास के भाई भी कई विवादों में घिरे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर शीतल धनखड़ कांग्रेस नेता रणदीप धनखड़ की पुत्री हैं। रणदीप के भाई जगदीप धनखड़ भाजपा से जुड़े हुए हैं और बंगाल के राज्यपाल हैं। मतलब परिवार दोनों पार्टियों से फायदा लेने में जुटा है।

अब कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि मंजू शर्मा और शीतल धनखड़ का कांग्रेस में क्या योगदान है? भाजपा शासन के दौरान कांग्रेस की ओर से किए गए धरने-प्रदर्शनों में क्या इन्होंने पार्टी का झंडा उठाया या लाठियां खाई? चुनावों के वक्त क्या इन्होंने प्रचार में हिस्सा लिया या बूथों को संभाला? इस बात की क्या गारंटी है कि यह दोनों भविष्य में पार्टी की निष्ठावान कार्यकर्ता रहेंगी, या फिर राजनीतिक लाभ लेकर वापस चली जाएंगी? क्या बागी खेमे को दंड के बजाए नियुक्तियों से नवाजा जाएगा। इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा, नहीं तो कांग्रेस के लिए प्रदेश में निष्ठावान कार्यकर्ताओं का अकाल पड़ जाएगा।

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