जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों में अभी काफी समय है, लेकिन दोनों पार्टियों में चल रही गुटबाजी को देखते हुए कहा जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है। दोनों पार्टियों में विभिन्न गुट जोर आजमाइश में लगे हैं। सबसे ज्यादा रोचक चालें भाजपा में चली जा रही है, जहां प्यादों के जरिए रानी को मात देने की तैयारी है।
सूत्रों का कहना है कि राजस्थान भाजपा में अभी संघ खेमा हावी है और यह खेमा रानी के प्यादों से रानी को ही मात देने की कोशिश में लगा है। जिस तरह राजस्थान की राजनीति में आने के बाद वसुंधरा राजे ने प्रदेश भाजपा के बड़े चेहरों को बाहर किया, उसी चाल को अब संघ खेमे की ओर से राजे पर परखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान में आने के बाद राजे ने प्रदेश भाजपा के सबसे बड़े चेहरे भैरोंसिंह शेखावत को दिल्ली भिजवाने में अहम भूमिका निभाई। राजपूत लॉबी में देवीसिंह भाटी की धार को कुंद किया। इसके बाद पॉवरफुल ब्राह्मण लॉबी को ध्वस्त करने का काम किया। इस लॉबी में ललित किशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभड़ा और भंवरलाल शर्मा जैसे दिग्गज नेता आते थे। जाट लॉबी को खत्म करने के लिए ज्ञान प्रकाश पिलानिया को निशाने पर लिया गया।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा की ब्राह्मण लॉबी को खत्म करने के लिए अरुण चतुर्वेदी का उपयोग किया गया और जाट लॉबी को खत्म करने के लिए सतीश पूनिया का। कुछ अन्य जातियों के नेताओं को भी इसी तरह पुराने किले ढ़हाने के लिए उपयोग किया गया। राजे की चालों के आगे वैश्य लॉबी भी नहीं टिक पाई।
अब इसी चाल पर भाजपा में फिर से जातिवाद को हवा देकर नए क्षत्रप खड़े किए जा रहे हैं, ताकि राजे को कमजोर किया जा सके। पूनिया, चतर्वेदी के साथ राजेंद्र राठौड़, दिया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, सौम्या गुर्जर को आगे किया जा रहा है। भाजपा से छिटके प्रमुख नेताओं की घर वापसी को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रदेश भाजपा में ब्राहमण और राजपूत लॉबी को खत्म करने के लिए राजे ने कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों गुर्जर और मीणा समाज को अपने साथ लिया। संघ गुर्जर और मीणा समाज को अभी तक साधने में नाकाम रहा है, ऐसे में ताकत बढ़ाने के लिए मूल ओबीसी जातियों को भी साधा जा रहा है। इससे कांग्रेस के प्रमुख चेहरे अशोक गहलोत की शक्ति को भी कमजोर किया जा सकेगा। इसी रणनीति के तहत पहले मदनलाल सैनी को राज्यसभा का टिकट दिया गया, बाद में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उनके बाद अब माली जाति से राजेंद्र गहलोत को राज्यसभा में भेजा गया है, पहले युवा मोर्चा अध्यक्ष भी इसी जाति से बनाया गया था।
उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने सबसे पहले 13 दिसंबर को ‘नए साल से राजस्थान की राजनीति में आएगा उबाल, राजे होंगी एक्टिव ताकि पार्टी पर पकड़ रहे बरकरार’ खबर प्रकाशित कर बता दिया था कि राजे राजस्थान की सियासत में फिर से एक्टिव होंगी और संघ और राजे खेमा एक बार फिर से आमने-सामने आ जाएगा। वहीं 9 जनवरी को ‘पायलट प्रकरण ने कांग्रेस में गहलोत को पॉवर सेंटर बनाया, क्या भाजपा में राजे बनेंगी एक बार फिर पॉवर सेंटर’ खबर प्रकाशित कर बताया था कि भाजपा के पास राजे के अलावा प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है, ऐसे में राजे फिर पॉवर सेंटर बन सकती है।
अभी तक भाजपा में कहा जा रहा था कि उनकी पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है, लेकिन क्लियर न्यूज की खबरों के बाद भाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है और प्रदेश अध्यक्ष खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उनके अंदर गुटबाजी है। इसी के चलते उन्हें दिल्ली में भी पेश होना पड़ा था।