जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। बुधवार, 24 फरवरी को विधानसभा में बजट पेश करते हुए भी गहलोत ने ऐसी जादूगरी दिखाई कि भाजपा की ओर से तुरंत किसी किस्म का बयान नहीं आ सका। बजट पेश होते ही आमतौर पर लोगों और विपक्षी दलों की बजट पर प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन आज के बजट के बाद राजस्थान में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेताओं को तत्काल कोई बयान ही नहीं सूझा, जबकि समाज के सभी वर्गों ने बजट की तारीफों के पुल बांध दिए।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोरोना के नाम पर सभी केंद्रीय योजनाओं का पैसा रोक रखा है। राज्य सरकारों को उनका जीएसटी का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश भाजपा के नेता देखना चाहते थे कि किस तरह से गहलोत बजट पेश करते हैं। उन्हें भरोसा था कि केंद्र से पैसा नहीं मिल पाने के कारण यह लोग फेल हो जाएंगे। ऐेसे में यदि गहलोत हल्का-फुल्का बजट पेश करते तो भाजपा वाले उन्हें आड़े हाथों लेने के लिए तैयार बैठे थे।
गहलोत ने अपनी जादूगरी दिखाते हुए जब बजट पेश किया तो सब तरफ उनकी वाहवाही होने लगी। बजट पर सबसे पहली प्रतिक्रिया व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों की आती है लेकिन इन संगठनों ने बजट की तारीफों के पुल बांध दिए। गहलोत ने सभी वर्गों को कुछ न कुछ दिया है, वहीं कोई टैक्स नहीं लगाकर राहत प्रदान की। बजट पेश होते ही भाजपा नेता सकते में आ गए कि कोरोना लॉकडाउन से बिगड़े आर्थिक हालातों और केंद्र द्वारा सहयोग नहीं मिलने के बावजूद जादूगर ने इतना अच्छा बजट कैसे पेश कर दिया?
विधानसभा से बाहर निकलते समय मीडिया ने भाजपा विधायकों और नेताओं से बजट पर तात्कालिक प्रतिक्रिया पूछी तो भाजपा नेता लाजवाब हो गए। उन्हें बजट पर कोई बयान भी नहीं सूझ रहा था कि वह सरकार को घेर सकें। बजट पेश करने के दौरान प्रतिपक्ष की चुप्पी को गहलोत ने भी भांप लिया था और उन्होंने खेल पलट दिया। कहां भाजपा नेता सरकार के मजे लेने की तैयारी कर रहे थे और कहां गहलोत ने भाजपा के मजे ले लिये। बजट पेश करने के दौरान उन्होंने कई बार भाजपा नेताओं और उनके द्वारा कुछ समय पूर्व सरकार को गिराने की कोशिश पर जमकर तंज किये।
बजट पेश करने के दौरान गहलोत ने पानी पीते हुए कहा कि वसुंधरा जी बिना पानी पीये बजट पेश करती थीं लेकिन मैं अब तक सात बार पानी पी चुका हूं, आप लोग यह मत समझना कि मैं आपको पानी पी-पी कर कोस रहा हूं। पशुओं के लिए 102 एंबुलेंस सेवा की घोषणा करते हुए गहलोत ने प्रतिपक्ष से कहा कि यह तो गाय का मामला है, कम से कम ताली तो बजा दो, मुंह नीचा करके क्यों बैठे हो, चेहरा तो ऊपर करो। कुछ अन्य घोषणाओं के बाद गहलोत ने कहा कि यहां भी तालियां नहीं बजेंगी। क्या कोई व्हिप जारी हुआ है क्या जो आप लोग ताली नहीं बजा रहे हो।
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि गहलोत पहले भी जादूगरी करते रहे हैं। वर्ष 2002-03 में जब बारिश नहीं होने के कारण अकाल जैसी स्थितियां बन गई थी। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और राजे केंद्रीय मंत्री थीं। उस समय भी प्रदेश में अकाल के बावजूद केंद्र ने मदद नहीं की थी लेकिन गहलोत ने उस समय भी अपने दम पर परिस्थितियों को संभाला और अकाल को सुकाल में बदला।
गहलोत के लिए कहा गया कि वे कटोरा लेकर दिल्ली में घूम रहे हैं। उस समय गहलोत का कहना था कि भूख से एक भी आदमी का मरना तो दूर किसी को भूखे सोने भी नहीं दिया जाएगा। प्रदेश में एक बार फिर वैसी ही स्थिति है, इसके बावजूद गहलोत ने इतना बढिय़ा बजट पेश किया। बजट पेश करने के दौरान आज फिर उन्होंने यह बात दोहराई कि केंद्र मदद करे या नहीं करे हम किसी आदमी को भूखे भी नहीं सोने देंगे।