कोरोना संक्रमण के मद्देनजर देश के विभिन्न राज्यों की तरह राजस्थान में होली को लेकर राज्य सरकार की ओर से रोक लगायी गयी थी। शाम 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक सार्वजिनक स्थानों पर 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर पाबंदी लगाई गयी थी, इसका अर्थ था होलिका दहन के समय सीमित संख्या में ही लोग एकत्र हों। इन हालात में कहीं-कहीं सरकारी आदेश की अनुपालना करते हुए होलिका दहन हुआ तो कहीं-कहीं इन आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गयीं।
जयपुर में शाम सात बजे बाद ज्यादातर होलिकाओं का दहन कर दिया गया। लोगों ने शाम को होलिका का पूजन भी किया और सामूहिक रूप से होलिका दहन भी किया गया। होलिका में लोगों ने नये अनाज को भूना और एक दूसरे के गले मिलकर आपस में बधाई भी दी गयी। जयपुर शहर में अनेक स्थान ऐसे रहे जहां रात साढ़े आठ बजे के बाद होलिका दहन किया गया। इसका कारण यह था कि जयपुर की परम्परा के अनुसार सबसे पहली होली जयपुर के पूर्व महाराजा के महल में जलती रही है। इस होली से ली गयी अग्नि से ही अन्य होलिकाओं का दहन होता रहा है। इस बार महाराजा के महल यानी सिटी पैलेस में होली देर से मंगलाई गयी और इस वजह से कुछ होलिकाओं के दहन में समय लग गया।