राजस्थान उच्च न्यायालय से याचिका खारिज होने के बाद निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिली है। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार (state government), स्वायत्त शासन निदेशालय और कार्यवाहक मेयर से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
सौम्या गुर्जर की ओर से पैरवी करते हुए पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि आयुक्त की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर (FIR) में तेज आवाज में बोलने का आरोप तत्कालीन मेयर पर लगाया गया है। तेज आवाज में बोलने को दुर्व्यवहार मानते हुए सरकार ने मेयर को निलंबित कर दिया।
रोहतगी ने तर्क दिया कि तेज आवाज में बोलने को दुर्व्यवहार मानकर किसी जनप्रतिनिधि को पद से निलंबित नहीं किया जा सकता है। रोहतगी के तर्कों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह में अपना पक्ष रखने को कहा। मामले में अब अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी।
उल्लेखनीय है कि निलंबन के बाद सौम्या गुर्जर की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में नगर पालिका एक्ट की धारा 39 (1 डी) के तहत किए गए निलंबन को चुनौती दी थी। इस धारा में सरकार ने दुराचार और शर्मनाक बर्ताव को आधार मानते हुए सौम्या गुर्जर को मेयर और पार्षद पद से निलंबित किया था।