डीजल पर लग रहे वैट और मोटर वाहन कर को कम करने की मांग को लेकर गुरुवार को राजस्थान बस ऑपरेटर्स यूनियन सड़क पर उतरी और बसों के चक्कों (wheels) के ब्रेक लग गए। यूनियन से जुड़े लोगों ने जयपुर के जगतपुरा स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (Transport office) (आरटीओ) ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया, फिर धरने पर बैठ गए। इसके बाद ये लोग झालाना स्थित जिला परिवहन कार्यालय और उसके बाद सहकार मार्ग पर स्टेट ट्रांसपोर्ट ऑफिस पहुंचे।
आंदोलनकारियों ने जिला परिवहन अधिकारी और डिप्टी कमिश्नर ट्रांसपोर्ट को पत्र सौंपा। बस ऑपरेटर्स (bus operators) यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष महेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि दो दर्जन से अधिक एसोसिएशन ने बंद को समर्थन दिया है। आज जयपुर ही नहीं, पूरे राज्य में बसों का चक्काजाम है।
राठौड़ ने बताया कि राजस्थान में डीजल पर वैट रेट 28 फीसदी है, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है। पंजाब में 16 फीसदी और आसपास के राज्यों में राजस्थान से कम दर है। राजस्थान में बस ऑपरेटर्स पिछले काफी समय से कोविड के चलते परेशान हैं। बसें खड़ी हैं। उसके बाद भी सरकार मोटर वाहन कर लगातार वसूल रही है। ऐसे समय में जब बसों का संचालन बंद पड़ा है और सवारियां नहीं मिल रहीं सरकार को निजी बस ऑपरेटरों को राहत देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमने सरकार से मांग की है कि डीजल पर वैट की दरें कम की जाएं और एक साल का मोटर वाहन टैक्स माफ किया जाए। पूरे राजस्थान में प्राइवेट ऑपरेटर हर रोज 30 हजार बसों का संचालन करते हैं। ये बसें इंटरस्टेट और इंटर डिस्ट्रिक्ट सर्विस देती हैं। यातायात पुलिस और आरटीओ आए दिन कॉमर्शियल वाहनों के हजारों रुपए के चालान काट रहे हैं। इस विकट परिस्थितियों में भी टैक्स, महंगा डीजल की मार झेल रहे वाहन चालकों को अब चालान काटकर परेशान किया जा रहा है।
प्रदेश में निजी बसों (private buses) के चक्काजाम से रोडवेज बसों पर यात्री भार बढ़ गया। कोरोनाकाल में रोडवेज बसों में एक बाद फिर भीड़ देखी गई। मजबूरी में लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी करते देखा गया। उमस और बसों में भीड़ से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि रोडवेज ने यात्री सुविधा के लिए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की थी।