राजस्थान में भविष्य में मातृभाषा हिंदी (hindi) में भी इंजीनियरिंग (engineering) का कोर्स किया जा सकेगा। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों को हिंदी में इंजीनियरिंग का कोर्स तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
मिश्र ने आरटीयू कोटा के नए भवनों, लैब्स, टेनिस कोर्ट, एयरोनॉटिकल लैब, कैफेटेरिया, 300 किलोवाट रूफ टॉप सोलर प्लांट और रिसर्च हब का ऑनलाइन लोकार्पण किया। जयपुर में राजभवन से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलराज मिश्र ने कहा कि तकनीकी शिक्षा से जुड़ी पाठ्य सामग्री अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी और स्थानीय भाषाओं में भी तैयार कराई जाए।
उन्होंने स्थानीय आवश्यकता के मुताबिक़ विद्यार्थियों में तकनीकी कौशल और दक्षता विकास के लिए प्रयास करने पर ज़ोर दिया। राज्यपाल ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के महत्व को देखते हुए ही नई शिक्षा नीति में इसकी गुणवत्ता और व्यावहारिक प्रसार पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने तकनीकी शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से शिक्षण प्रक्रिया में सुधार, शिक्षकों के गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की दिशा में लगातार प्रयास करने का आह्वान किया।
मिश्र ने कहा कि कोविड के दौर में जारी ऑनलाइन शिक्षा एक तरफा बनकर न रह जाए। इसमें भी शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच लगातार दोनों तरफ से संवाद बनाए रखने पर ज़ोर देना चाहिए। साथ ही तकनीकी शिक्षा में जीवन व्यवहार की शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों को पर्याप्त जगह मिलनी चाहिए। यदि तकनीकी पाठ्यक्रमों से कला और संस्कृति से जुड़े विषयों को जोड़ा जाएगा, तो तकनीकी शिक्षा बोझिल नहीं होगी और विद्यार्थियों को भी पढ़ने में आनन्द आएगा।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को ऐसी तकनीकी शिक्षा दी जाए, जिससे वे खुद के साथ दूसरों को भी रोजग़ार देने लायक बन सकें। उन्होंने इसके लिए विश्वविद्यालय में ‘स्किल डवलपमेंट सेंटर्स की अलग से स्थापना करने का सुझाव भी दिया। साथ ही, उम्मीद जताई कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में विकसित की गई नई लैब्स से विद्यार्थियों को शोध के व्यावहारिक पक्ष को समझने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय में रिसर्च वर्क को भी नई दिशा मिलेगी।