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नए साल से जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh sanctuary) के वन्यजीवों (wild animals) को मिलेगा नया वातावरण

1 दिसंबर से पूर्व अभ्यारण्य में सभी वाणिज्यिक गतिविधियां होगी बंद, फोर्ट के रास्ते पर वन विभाग लगाएगा नॉइस बैरियर, जांचेगा वाहनों और पर्यटकों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को

धरम सैनी
जयपुर। आने वाला नया साल राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य (nahargarh sanctuary) के वन्यजीवों के लिए खुशखबरी लेकर आ रहा है। नए साल से इस अभ्यारण्य में रात के समय न तो लाइटों की चकाचौंध रहेगी और न ही नॉइस पॉल्यूशन। वन्यजीव (wild animals) रात में फोर्ट समेत पूरे अभ्यारण्य में स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे। सुकून से शिकार कर अपना भोजन कर सकेंगेे।

आने वाले वाहनों पर वन विभाग का नियंत्रण होने से अभ्यारण्य का माहौल पूरी तरह से बदल जाएगा। वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी ने जिस उद्देश्य से नाहरगढ़ फोर्ट में वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक के लिए जनहित याचिका लगाई थी, वह सभी उद्देश्य एनजीटी के आदेश से पूरे हो रहे हैं।

एनजीटी ने मामले का फैसला करते हुए निर्देश दिया है कि 1 दिसंबर 2021 से पूर्व फोर्ट में सभी रेस्टोरेंट, बीयर बार व अन्य वाणिज्यिक गतिविधियां बंद हो जानी चाहिए। इसी तारीख तक नाहरगढ़ फोर्ट में नाइट टूरिज्म और आमेर में केसर क्यारी के पास लाइट एंड साउंड शो बंद हो जाना चाहिए। जयपुर विद्युत वितरण निगम बिना वन विभाग की अनुमति के अभ्यारण्य क्षेत्र में लाइट कनेक्शन नहीं देगा।

एनजीटी ने यह पूरा इलाका वन विभाग का माना है और विभाग को निर्देश दिए हैं कि पर्यटकों और वाहनों के आने से अभ्यारण्य के वातावरण में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, यह जांचने के लिए विभाग उपयुक्त स्थानों पर नॉइस बेरियर लगाएगा और वाहनों से उत्पन्न होने वाले शोर को जांचेगा। वन विभाग ही फोर्ट में जाने वाले वाहनों की संख्या और पार्किंग को नियंत्रित करेगा। स

बसे अंत में एनजीटी ने कहा है कि वन विभाग वन एवं वन्यजीव अधिनियमों के तहत अभ्यारण्य में होने वाली अन्य सभी गतिविधियों की जिम्मेदारी उठाएगा और उन्हें नियंत्रित करेगा। इसका अर्थ यह है कि नाहरगढ़ फोर्ट में होने वाली सभी पर्यटन गतिविधियां वन विभाग के नियंत्रण में रहेगी। विवाद की स्थिति में सीमाओं का सत्यापन वन विभाग और जिला कलेक्टर मिलकर करेंगे।

इस फैसले की कॉपी मुख्य सचिव राजस्थान, मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर-भारत सरकार के सचिव, पीसीसीएफ (हॉफ) राजस्थान, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन राजस्थान, कलेक्टर जयपुर को भेजी जा रही है। यह सभी मिलकर इस फैसले की पालना कराएंगे।

परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी का फैसले पर कहना है कि यह एकदम स्पष्ट फैसला है कि नाहरगढ़ फोर्ट अब वन विभाग के देखरेख में रहेगा और यहां वन विभाग ही ईको टूरिज्म चलाएगा। नए साल से यहां के वन्यजीवों को रात में होने वाले लाइट और ध्वनि प्रदूषण से काफी राहत मिलेगी। अगर आदेश की पालना में विलंब या लापरवाही होती है तो हम अवमानना याचिका दायर करेंगे।

वन प्रेमी कमल तिवाड़ी ने फैसले पर कहा कि एनजीटी का फैसला प्रदेश के सम्पूर्ण अभ्यारण्यों के लिए नजीर साबित होगा, क्योंकि अधिकांश वन अभ्यारण्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित हैं।

वन एवं वन्यजीव मामलों के अधिवक्ता महेंद्र सिंह कच्छावा का कहना है कि वन एवं वन्यजीव अधिनियम के तहत अभ्यारण्य में लोगों का प्रवेश बिलकुल निषेध होना चाहिए, फैसले में पर्यटन को बंद नहीं किया गया है, बल्कि उसे वन विभाग के नियंत्रण में दिया गया है। दूसरे विभागों को लाभ पहुंचाने के लिए अभ्यारण्य में अवैध गतिविधियां चल रही थी, जिसे एनजीटी ने बंद कर दिया है।

पूरे अभ्यारण्य में राइट एंड कंसेशन साइन हुए बिना बड़ी मात्रा में लोग कैसे रह रहे हैं, यह जांच का विषय है। इस बारे में वन विभाग को कठोर कदम उठाकर अभ्यारण्य को खाली कराना चाहिए।

क्लियर न्यूज डॉट लाइव ने उठाया था मुद्दा
उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट लाइव ने 7 अक्टूबर 2020 को ‘मूक वन्यजीवों की जान दांव पर लगाकर हो रहा पर्यटन का विकास’ खबर प्रकाशित कर सबसे पहले नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला उठाया था। इसके बाद क्लियर न्यूज ने 8 अक्टूबर को ‘नौकरी पर बन आई, अब होगी कार्रवाई’, 10 अक्टूबर को ‘पेड़ कटते रहे, कागजों में वन बढ़ते रहे’, 12 अक्टूबर को ‘वन अधिनियम को चुनौति दे रहा पुरातत्व विभाग’, 14 अक्टूबर को ‘एक शहर, दो फोरेस्ट, एक में प्रवेश शुल्क, दूसरे में निर्बाध आवाजाही’, 15 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामले को रफा-दफा करने में जुटा पुरातत्व विभाग’, 21 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामला एनजीटी में जाने की तैयारी’, 10 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ में वन विभाग को करनी थी पुरातत्व विभाग पर कार्रवाई, मिलीभगत से ठेलेवालों को भगाया’, 11 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ अभ्यारण्य में अवैध निर्माण का टेंडर जारी, वन विभाग को टके सेर नहीं पूछ रहा आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण’ समेत समय-समय पर कई खबरें प्रकाशित कर अभ्यारण्य में उड़ रही वन एवं वन्यजीव अधिनियम की धज्जियां, नाहरगढ़ पर अवैध कब्जों, पेड़ों का कटान, अवैध निर्माण, वन्यजीवों की सुरक्षा, अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को उजागर किया था।

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