जयपुर

यूपी में एआईएमआईएम (AIMIM) का प्रदर्शन (Performance) तय करेगा, ओवैसी (Owaisi) की राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में क्या भूमिका रहेगी ?

मुस्लिम वोटरों की बदौलत बिहार विधानसभा चुनावों में अच्छी उपस्थिति दर्ज कराने वाले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम/AIMIM) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Owaisi) ने 2023 में होने वाले राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। ओवैसी रविवार, 14 नवंबर की  देर रात एकदिवसीय यात्रा पर जयपुर (Jaipur) पहुंचे।

सोमवार को उन्होंने प्रदेशभर से आए मुस्लिम समाज के लोगों से मुलाकात की। ओवैसी ने जयपुर में ऐलान किया कि 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम भी उतरेगी। ओवैसी राजस्थान में अपनी प्रदेश कार्यकारिणी तैयार करने में जुटे हैं और जनवरी 2022 तक प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हो सकती है। जयपुर में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों के प्रोफाइल देखे हैं।

उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन तय करेगा दशा और दिशा
ओवैसी के जयपुर आगमन के साथ ही राजस्थान कांग्रेस के कान खड़े हो गए हैं लेकिन कांग्रेस के सूत्र बता रहे हैं कि अब ओवैसी के राजस्थान में आने से कांग्रेस को कोई भय नहीं है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि ओवैसी अब एक्सपोज हो चुके हैं। बिहार के बाद बंगाल में ओवैसी कोई करामात नहीं दिखा पाए। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी यदि ओवैसी कुछ कमाल नहीं दिखा पाते हैं, तो उनका करिश्मा उत्तर भारत में खत्म हो जाएगा और राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे।

उत्तर प्रदेश में हाल खराब
सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ओवैसी के हाल खराब चल रहे हैं। भाजपा की योगी सरकार को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश का मुस्लिम मतदाता दमदार छवि वाले राजनेता की ओर देख रहे हैं। ऐसे में उनका झुकाव सपा की तरफ दिखाई दे रहा है। योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में इस समय कोई टक्कर दे रहा है तो वह अखिलेश यादव हैं। इसी के चलते यहां एआईएमआईएम के हाल खराब दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस और बसपा की तरफ भी नहीं दिखाई दे रहा है। इतना सबकुछ होने के बावजूद भी यदि ओवैसी उत्तर प्रदेश में अच्छी सीटें निकालने में कामयाब हो जाते हें तो राजस्थान कांग्रेस में चिंता के बादल छा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो राजस्थान में ओवैसी लगभग 40 उन सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर सकती है, जहां मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी तादात में है।

यूपी-राजस्थान में परिस्थितियां अलग
कांग्रेस जहां उत्तर प्रदेश चुनावों में एआईएमआईएम के प्रदर्शन के भरोसे बैठी है, वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूपी और राजस्थान में मुस्लिम वाटरों के प्रतिशत में काफी बड़ा अंतर है। यूपी के मुकाबले राजस्थान में मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी कम है। ऐसे में यदि ओवैसी यहां 40 या उससे अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर कुछ फीसदी वोट भी अपनी तरफ खींचने में कामयाब होते हैं, तो कांग्रेस की सीटों में अच्छी-खासी कमी देखने को मिल सकती है।

ओवैसी पर उठ रहे सवाल
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ओवैसी को कांग्रेस में भाजपा की बी टीम माना जाता है। बिहार सरकार को समर्थन देने के बाद ओवैसी पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता लगातार सोश्यल मीडिया पर सवाल उठाते आ रहे हैं कि एआईएमआईएम भाजपा की बी टीम नहीं है तो फिर आज तक ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन के भड़काऊ भाषणों पर कोई एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई। भाजपा के विरोधियों के खिलाफ अकसर विभिन्न जांच एजेंसियां पड़ी रहती है, फिर ओवैसी का कोई मामला इन जांच एजेंसियों को आज तक पकड़ में क्यों नहीं आया?

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