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डूडल बनने की जर्नी साझा की

जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के साप्ताहिक आर्ट टॉक सीरीज में बुधवार को ‘एक्सप्रेसिंग विद डूडल आर्ट’ विषय पर लंदन निवासी कलाकार आशीमा कुमार ने जेकेके महानिदेशक किरण सोनी गुप्ता के साथ चर्चा की।

सेशन के दौरान आशीमा ने डूडल आर्टिस्ट बनने की अपनी जर्नी साझा की कि कैसे उन्होंने डूडल आर्ट पर काम करना शुरू किया और कैसे डूडलिंग से बड़ी पेंटिंग बनाई। इस दौरान कलाकार ने लंदन आर्ट बाजार और कला परिदृश्यों पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि डूडल आर्ट वर्क बहुत दिलचस्प और पेचीदा है, क्योंकि इसका हर सेक्शन अलग है। जब सभी सेक्शन संयोजित होते है, तो वे मिलकर कहानी प्रस्तुत करते है। इन कलाकृतियों का गहन विश्लेषण कलाकार के अवचेतन मन की स्थिति प्रस्तुत करती है।

आशीमा ने बताया डूडल आर्ट कलाकार और दर्शक दोनों के लिए कला थैरेपी के समान है। किसी आर्ट वर्क को पहनने योग्य एक्सेसरी जैसे कि स्कार्फ  में प्रस्तुत करना व्यक्ति के लुक को और भी आकर्षक बना सकता है, जैसे  कलाकृति किसी दीवार को खूबसूरत बनाती है।

इस अवसर पर महानिदेशक गुप्ता ने कहा कि कोरोना समय विश्वभर में बहुत चुनौती पूर्ण रहा है। कला बाजार पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। अपनी कलाकृति को बाजार में नहीं ला पाने के कारण कलाकारों में निराशा है। हालांकि, एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि, इस समय ऑनलाइन आर्ट एक्टिविटीज में वृद्धि हुई है। इनमें ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशन्स, आर्ट चैलेंजेज के साथ ही आर्ट संस्थानों और गैलेरीज की प्रतियोगिताएं शामिल हैं।

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