जयपुर

नगर निगम में एसीबी के पत्रों से हड़कंप, भ्रष्टाचार के मामलों में एसीबी ने दर्ज किए परिवाद, कर्मचारी यूनियन, पार्किंग और कैंटीन ठेके, भाजपा बोर्ड में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की भी पत्रावलियां मांगी

धरम सैनी

नगर निगम में कई दशकों के चले आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने परिवाद दर्ज कर लिए हैं। एसीबी ने निगम आयुक्त से इन मामलों की समस्त पत्रावलियों की मांग की है। कई मामलों में तो एसीबी की ओर से बार-बार रिमाइंडर भी दिए जा चुके हैं, इसके बावजूद निगम अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है कि उन्होंने पत्रावलियां एसीबी को भेजी या नहीं। परिवाद दर्ज होने के बाद ग्रेटर नगर निगम ने मुख्यालय के पार्किंग और केंटीन ठेकों को निरस्त कर दिया। अब इन ठेकों को कर्मचारी यूनियन को देने के बजाए खुली निविदा आयोजित की जाएगी।

एसीबी की स्पेशल यूनिट प्रथम की ओर से निगम में पार्किंग और केंटीन ठेकों, कर्मचारी ट्रेड यूनियन और 40 अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति के संबंध में पिछले वर्ष शिकायत मिलने के बाद परिवाद दर्ज किया था। एसीबी ने निगम आयुक्त को पत्र लिख कर इन मामलों संबंधि पत्रावलियां उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद तीन बार आयुक्त को रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं। एसीबी की ओर से निगम आयुक्त से इस पत्र में 32 सवाल पूछे गए हैं, जिनका जवाब निगम को नहीं सूझ रहा है।

वहीं ब्यूरो ने पिछले भाजपा बोर्ड के समय हुए भ्रष्टाचार के पांच मामलों में भी परिवाद दर्ज किया है। इसमें वर्ष 2018-19 में पट्टा प्रकरण, मैसर्स ब्रिनौडा मैनपावर सॉल्यूशन व मैसर्स वाल्मिकी एंटरप्राइजेज को दिए सफाई ठेके, एकाजल प्याऊ प्राइवेट कंपनी प्रकरण, डीम्ड कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिए गए सफाई ठेके और मैसर्स रघुवीर शर्मा को दिए गए सफाई ठेके की पत्रावलियां मांगी गई है। इन मामलों में भी करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार की शिकायत हुई थी। एसीबी ने यह पत्रावलियां दिसंबर 2020 में मांगी थी।

निगम सूत्रों का कहना है कि पार्किंग और केंटीन ठेकों में भ्रष्टाचार किया गया है। वहीं ट्रेड यूनियन में भी फर्जीवाड़ा चल रहा है। वर्ष 2005 में कर्मचारी ट्रेड यूनियन का लाइसेंस लिया और तभी से पार्किंग व केंटीन का ठेका लेना शुरू कर दिया। यूनियन ने निगम से यह ठेके कुछ हजार रुपए की टोकम मनी में लेकर दूसरों को लाखों रुपए सालाना में सबलेट करने शुरू कर दिए। पार्किंग कर्मचारियों के पीएफ, ईएसआई, सर्विस टैक्स का कोई हिसाब-किताब यूनियन के पास उपलब्ध नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि यूनियन ने यह ठेके कर्मचारी वैलफेयर के नाम से ले रही थी, लेकिन यह पैसा कभी कर्मचारियों की भलाई के लिए नहीं खर्च किया गया। यूनियन का कोई भी कार्यक्रम होता, कोई कर्मचारी रिटायर होता तो उसका सारा खर्च निगम के मत्थे मढ़ा जा रहा था। सवाल उठता है कि जब यूनियन के सभी खर्च निगम उठा रहा था, तो फिर पार्किंग और केंटीन ठेके के पैसे कहां गए? यह पैसा सरकारी था, तो क्या यूनियन ने इस पैसे का ऑडिट कराया? जुलाई 2019 में लेबर डिपार्टमेंट ने यूनियन का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद इसके कर्ताधर्ताओं ने यूनियन के लेटरपैड पर अक्टूबर में फिर से ठेके कैसे ले लिए?

यूनियन की अध्यक्ष कोमल यादव व महामंत्री प्रभात कुमार के संबंध में भी एसीबी ने निगम आयुक्त से प्रश्न पूछे हैं। यह परिवाद भी कोमल यादव व अन्य कि खिलाफ दर्ज हुआ है। इस मामले में यादव का कहना है कि किसी ने द्वेष भावना से यह परिवाद दर्ज कराया है, इसमें भ्रष्टाचार जैसा कुछ नहीं है। फाइल हर बार सक्षम स्तर पर अनुमोदित होने के बाद ही हमें पार्किंग और केंटीन ठेके मिलते हैं।

नगर निगम मालवीय नगर जोन के राजस्व अधिकारी प्रमोद शर्मा का कहना है कि पार्किंग का ठेका सीधे किसी को नहीं दिया जा सकता है, बल्कि उसके लिए ओपन टेंडर होना जरूरी होता है। वर्ष 2005 से यह ठेका टोकन मनी पर ट्रेड यूनियन को दिया जा रहा था। इसकी शिकायतें होने के बाद इसे आयुक्त के निर्देश पर निरस्त कर दिया गया है।

वहीं नगर निगम के उपायुक्त राजस्व प्रथम नवीन भारद्वाज का कहना है कि कर्मचारी वैलफेयर के नाम पर पार्किंग और केंटन का ठेका ट्रेड यूनियन को दिया जा रहा था। इन ठेकों में भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई थी, लेकिन हमें जांच में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं मिला। इन ठेकों को निरस्त कर दिया गया है और अब इनके लिए ओपन टेंडर आयोजित किए जाएंगे।

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