अक्टूबर मध्य हुई बारिश से गिरे तापमान के कारण मच्छरों के घनत्व में आई भारी गिरावट
राजस्थान में जब मच्छर (mosquitoes) आम जनता का खून चूसकर (sucking) समाप्त हो गए, तब सरकार को मच्छरों की याद आई है। जब प्रदेश में मच्छरों का घनत्व ज्यादा था और उनके डंक से परेशान प्रदेश भर की जनता त्राहिमाम कर रही थी, तब प्रदेश का चिकित्सा विभाग और नगरीय निकाय हाथ पर हाथ धरे अपने कार्यालयों में आराम फरमा रहे थे।
राजस्थान सरकार की ओर से अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े के बाद ‘डेंगू मुक्त राजस्थान’ (Dengue free Rajasthan) अभियान (campaign) की शुरुआत की गई है। दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री ने प्रदेश में डेंगू मुक्त अभियान चलाने की घोषणा की और चिकित्सा विभाग व नगरीय निकाय हरकत में आ गए हैं। एंटी लार्वा गतिविधियां, फोगिंग आदि के कार्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं। मच्छरों से बचाव के लिए जनजागरूकता फैलाई जा रही है।
इसमें सबसे हैरानी वाली बात यह है कि यह अभियान उस समय शुरू हुआ है, जबकि प्रदेशभर में मच्छरों का घनत्व बिलकुल कम हो चुका है। राजस्थान में इस वर्ष मई माह में ही छिटपुट बारिश शुरू हो गई थी और उस समय मच्छरों का घनत्व बढ़ने लगा था। जुलाई में मानसून आने के बाद मच्छरों के घनत्व में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई और इसी के साथ ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा, जो अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक बना रहा।
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में प्रदेश में हुई बेमौसमी बारिश के कारण प्रदेश भर के अधिकांश स्थानों पर दिन और रात के तापमान में गिरावट हो गई। दिन का तापमान 37-38 डिग्री से गिरकर 32-33 डिग्री और रात का तापमान 25-26 से गिरकर 19-20 तक आ गया। तापमान में इसी गिरावट के कारण अचानक मच्छरों का खात्मा हो गया। बताया जा रहा है कि अब सितंबर के मुकाबले 10 से 15 फीसदी मच्छर ही बचे हैं। आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट होने पर मच्छरों का यह प्रतिशत और गिर जाएगा।
अभी जो मच्छर बचे हैं, वह घरों में ठंड़े और अंधेरे स्थानों पर दुबके हैं। खुले स्थानों पर मच्छर कम ही दिखाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इन दिनों प्रदेशभर में लोग दीपावली की सफाई में लगे हैं। सफाई के दौरान घरों से सारा काठ-कबाड़ दूर हो जाएगा। कूलर बंद हो चुके हैं और घरों में जल जमाव बिलकुल नहीं है, ऐसे में आने वाले दिनों में मच्छरों की संख्या और भी कम हो जाएगी।
यह सभी गतिविधियां यदि जुलाई अंत से सितंबर के अंत तक की जाती तो प्रदेश में डेंगू व अन्य मौसमी बीमारियां नहीं फैलती। लेकिन, मच्छरों के घनत्व के इस मौसम में नगरीय निकायों और चिकित्सा विभाग की ओर से कोई खास कदम नहीं उठाए गए, जिससे प्रदेशभर में डेंगू का प्रकोप बढ़ गया। सरकारी विभागों की लापरवाही के कारण डेंगू व मौसमी बीमारियां महामारी का रूप ले चुकी है, लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि सरकार अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों के इलाज की पुख्ता व्यवस्था करे। चिकित्सा विभाग और नगरीय निकायों को को सख्त ताकीद किया जाए कि वह समय रहते मच्छरों पर नियंत्रण की व्यवस्था करें, क्योंकि इस समस्या का सामना साल में दो बार करना ही पड़ता है।