यद्यपि तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने की शर्त के साथ किसान संगठनों के नेता सरकार के साथ बातचीत के लिए नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन पहुंचे थे। दोपहर करीब दो बजे शुरू हुई वार्ता करीब पांच घंटों तक चली। इस वार्ता में केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्योग राज्य मंत्री सोमनाथ उपस्थित रहे।
वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर स्पष्ट किया कि सरकार ने किसानों की बिजली और पराली जलाये जाने संबंधी कानूनों को लेकर बात मान ली है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर वार्ता हुई लेकिन इस संदर्भ में अगले दौर की वार्ता में कुछ फैसला हो सकेगा। अगले दौर की वार्ता 4 जनवरी को होना तय हुआ है।
सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई वार्ता
उधर, किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। वार्ता के मध्य में दो केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर ने तो किसानों के साथ लंगर भी चखा। किसान नेताओं ने कहा कि बुधवार 30 दिसम्बर की वार्ता में एक-एक मुद्दे पर काफी देर तक चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दो कानूनों में संशोधन की बात कही है और किसान उम्मीद करते हैं कि 4 जनवरी की वार्ता मे एमएसपी सहित अन्य मुद्दों पर सकारात्मक बात हो सकेगी। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बताया कि जिस तरह से वार्ता सकारात्मक माहौल में सौर्दपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रही है, इसे देखते हुए 31 दिसम्बर को किसानों की ट्रैक्टर रैली स्थगित कर दी गई है।
आशंका थी कि बेनतीजा रहेगी वार्ता लेकिन..
आज, 30 दिसम्बर को हुई वार्ता 29 दिसम्बर को प्रस्तावित थी जिसे सरकार की ओर से एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया था। इस वार्ता का पहला प्रस्ताव जब किसानों की ओर से दिया गया था तो उन्होंने शर्त लगा थी कि वार्ता का एजेंडा तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी ही रहेगा।
ऐसी स्थिति में जब 30 दिसम्बर को दोपहर दो बजे वार्ता की शुरुआत हुई तो आशंका व्यक्त की जा रही थी कि वार्ता बेनतीजा ही रहने वाली है। लेकिन, सरकार और किसानों की सातवें दौर की वार्ता में जिस तरह से बात आगे बढ़ी और फिर अगली बैठक के लिए 4 जनवरी की तारीख तय हुई। इन हालात में लगता है कि सरकार और किसानों के बीच बना गतिरोध खत्म होने लगा है।