अच्छी खेती बाड़ी और बागवानी के लिए उन्नत बीज, खाद और सिंचाई के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्रों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। खेती में यंत्रीकरण से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है लेकिन आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नही होने के कारण लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण क्रय कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इन्ही किसानों को लाभान्वित करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा क्रय-विक्रय सहकारी समितियों (केवीएसएस), ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) और कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं।
कस्टम हायरिंग केन्द्रों को कृषि विभाग द्वारा प्रदत्त अनुदान के माध्यम से सहकारिता विभाग द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद के लिए 8 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। इन केंद्रों पर ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उन्नत कृषि यंत्रों की खरीद की जाती है। किसान केन्द्रों से जरूरत के कृषि यंत्रों को किराये पर लेते हैं तथा खेती में इस्तेमाल करते हैं। इस सुविधा से किसानों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता। उन्नत तकनीकों को काम में लेकर उनके लिए कृषि का काम आसान हो जाता है और फसल के उत्पादन में वृद्धि होने के कारण उनकी आय में भी इजाफा होता है। इन केन्द्रों के माध्यम से लघु एवं सीमांत कृषकों को कम दर पर कृषि यंत्र किराए पर मिल रहे हैं साथ ही सहकारी समितियां भी मजबूत हो रही हैं।
जयपुर जिले के ग्राम धानक्या के निवासी बाबूलाल जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कस्टम हायरिंग केंद्र से उन्होंने फसल निकालने के लिए थ्रेशर किराये पर लिया था, जो उन्हें 900 रुपये प्रति घंटे की दर से किराए पर दिया गया। उन्होंने बताया कि बाजार में नीजि थ्रेशर 1300 रुपये प्रति घंटे की दर से किराया ले रहे हैं। इसी प्रकार जयपुर जिले के ग्राम कालवाड़ के निवासी स्वरूप कुमार ने बताया कि वे खेत मे जुताई, बुवाई और फसल कटाई के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र से ही कृषि यंत्र किराए पर लेते हैं, जो कि बाजार दर से कम किराये पर उपलब्ध है। बाबूलाल किसानों को दी गई इस सुविधा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हैं।