राजस्थान में बजरी के सस्ते व सुगम विकल्प के रूप में एम सेंड के उपयोग को और अधिक बढ़ावा देने के साथ ही एम सेंड की नई इकाइयां लगाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम, उद्योग व एमएसएमई वीनू गुप्ता ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा जारी एम-सेंड नीति में सरकारी निर्माण कार्यों मेें बजरी के विकल्प के रूप में कम से कम 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। एम सेंड नीति जारी होने के बाद प्रदेश में 36 एम सेंड इकाइयों द्वारा करीब सवा करोड़ टन एम सेंड का वार्षिक उत्पादन होने लगा है। प्रदेश में निजी और रियल एस्टेट सेक्टर सहित निर्माण सेक्टर में भी एम सेंड के उपयोग को बढ़ावा देने के समन्वित प्रयास करने होंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव शनिवार को निदेशक माइंस संदेश नायक व विभागीय अधिकारियोें के साथ खान एवं पेट्रोलियम विभाग की गतिविधियों की समीक्षा कर रही थीे। उन्होंने कहा कि राज्य में विपुल खनिज संपदा को देखते हुए खनिज एक्सप्लोरेशन और खनन ब्लॉकों के नीलामी कार्य को और अधिक गति देनी होगी। उन्होंने खनन क्षेत्र में राजस्व की उत्तरोत्तर बढ़ोतरी पर प्रसन्नता व्यक्त की और राज्य सरकार द्वारा राजस्व संग्रहण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छीजत रोकने और रेवेन्यू बढ़ाने की रणनीति बनाने के निर्देश दिए। गुप्ता ने आरएसएमईटी, डीएमएफटी, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस सेक्टर आदि क्षेत्रों में हो रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी ली।
निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि राज्य में उपलब्ध 82 खनिजों में से 57 खनिजों का दोहन किया जा रहा है। खान व पेट्रोलियम सेक्टर द्वारा हाल ही समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में रेकार्ड 12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया गया है वहीं सर्वाधिक 8 मेजर मिनरल ब्लॉक और 573 हैक्टेयर क्षेत्रफल के 367 माइनर मिनरल ब्लॉकों की सफल नीलामी की गई है।
नायक ने बताया कि विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में मेजर और माइनर मिनरल ब्लॉक तैयार कर नीलामी का एक्शन प्लान बनाते हुए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं। इसके साथ ही विभागीय निगरानी व्यवस्था को भी चाक-चौबंद किया गया है।