विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह पंचायतीराज (Panchayati Raj) और शहरी निकाय चुनावों (urban body elections) पर भी दल-बदल कानून (Anti-defection law) लागू करने की मांग उठने लगी है। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा है कि पंचायतीराज चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों में दल-बदल विरोधी कानून लागू होना चाहिए, ताकि खरीद-फरोख्त रुक सके। राज्य सरकार बिल लाकर यह प्रावधान लागू करे। यह उसके अधिकार क्षेत्र का विषय है।
पंचायतीराज चुनाव और शहरी निकाय में दल-बदल कानून के प्रावधान लागू नहीं होते। दल-बदल कानून नहीं होने की वजह से पंचायतीराज चुनाव और शहरी निकायों के चुनावों में सदस्यों, पार्षदों की जमकर दल-बदल देखने को मिलता है। जिला परिषद और पंचायत समितियों में हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए दल-बदल आम बात है। इससे बचने के लिए हर बार चुनावों में वोटिंग होते ही बाड़ेबंदी शुरू हो जाती है।
चतुर्वेदी ने कहा कि पंचायतीराज चुनावों में सरकार ने जगह-जगह सत्ता का दुरुपयोग किया है। कई भाजपा प्रत्याशियों पर दबाव बनाकर नामांकन वापस कराए गए। कई जगह पर विरोध भी हुए तो सरकार के इशारे पर गिरफ्तारियां भी हुई। भरतपुर में विधायक जाहिदा की पुत्री के सामने प्रत्याशी का नामांकन वापस करवाया गया। मंत्री सुभाष गर्ग और कांग्रेस विधायक जोगिंद्र सिंह अवाना के रिश्तेदारों के सामने भी खड़े होने वाले उम्मीदवारों प्रत्याशियों के नामांकन वापस करवाए गए। वैर में मंत्री भजन लाल जाटव की पुत्रवधू जहां से खड़ी हुई, वहां पर भी मतदान के एक रात पहले लोगों पर दबाव बनवाया गया।
कई जगह फजीज़् मतदान की बात सामने आई है, जिसकी शिकायत भी की गई। मंत्री परसादी लाल मीणा ने चुनाव के बीच विधायक फंड से पैसा मंजूर किया। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने भी वोटर्स को प्रभावित करने के लिए विधायक फंड से चुनाव के दौरान काम कराने की सिफारिशें कीं, जो आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। जिन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया है, उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।