जयपुर

पानी में भीगी अल्बर्ट हॉल की प्राचीन कलाकृतियों के संरक्षण कार्य को सर्विस बताने में जुटे पुरातत्व अधिकारी, मंशा पर उठे सवाल

धरम सैनी

पुरातत्व विभाग राजस्थान और उसकी कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) के बीच इन दिनों सिर फुटौव्वल चल रही है। यह स्थितियां अल्बर्ट हॉल में पानी से भीगी पुरा सामग्रियों के संरक्षण के लेकर बनी हैं। हालांकि भीगी हुई अधिकतर पुरा सामग्रियां पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है और उनको अब फिर से संरक्षित किया जाना संभव नहीं है, इसके बावजूद विभाग इनका संरक्षण कराना चाहता है। झगड़ा इस बात का चल रहा है कि विभाग इस कार्य को सर्विस की श्रेणी में मान रहा है, जबकि एडमा के अधिकारी इसे वर्क की श्रेणी में मान रहे है।

सूत्रों के अनुसार मंगलवार को पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा ने अल्बर्ट हॉल में जयपुर के स्मारकों के संरक्षण और रख-रखाव कार्यों को लेकर एडमा और विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में पुरातत्व अधिकारियों ने शहर के स्मारकों का उचित रख-रखाव नहीं होने पर एडमा अधिकारियों पर निशाना साधा। बाद में पुरातत्व विभाग और एडमा के बीच चल रहे विवादित मुद्दों को ले आया गया और एडमा को जमकर खरी-खोटी सुनाई गई।

इसलिए हुआ विवाद
अल्बर्ट हॉल अधीक्षक राकेश छोलक ने अन्य मुद्दों के साथ 14 अगस्त 2020 को जयपुर में हुई अतिवृष्टि से भीगी बहुमूल्य कलाकृतियों के संरक्षण का मामला उठाया। विभाग आईजीएनसीए से यह काम करा रहा है। एडमा अधिकारियों ने पूछ लिया कि यह वर्क है या सर्विस है। पुरातत्व निदेशक ने कहा कि हम पुरा सामग्रियों का डाक्युमेंटेशन और संरक्षण करा रहे हैं और यह सर्विस है। इस पर एडमा अधिकारियों ने कह दिया कि पूर्व में पुरा सामग्रियों के संरक्षण के जो भी कार्य हुए हैं, उनका टाइटल वर्क था, इसलिए अब इसे भी वर्क ही माना जाए। यदि इसे सर्विस माना जाता है, तो ऑडिट में समस्या आ जाएगी और पैरा बन सकता है।

यह उठ रहे सवाल
उल्लेखनीय है कि निदेशालय से जुड़े अधीक्षकों ने भी विभाग के इस तर्क का इसका विरोध किया था और साफ बता दिया था कि यह वर्क है, न कि सर्विस। इसके बावजूद निदेशक और अल्बर्ट हॉल अधीक्षक इसे सर्विस बताने पर क्यों तुले हैं, इसके पीछे उनकी मंशा साफ नहीं हो पा रही है? कहा जा रहा है कि पानी से बर्बाद हुई सामग्रियों के संरक्षण के बहाने घोटाले की साजिश चल रही है। इसके लिए एडमा को भी बाध्य किया जा रहा है कि वह इसे सर्विस माने।

इस कार्य को कर रही एजेंसी आईजीएनसीए ने जो पूर्व में एस्टिमेट दिया था, उसे रिवाइज किया गया था। संरक्षण दरों में मोल-भाव किए जाने के बाद ही यह कार्य दिया गया, जो यह साबित करते हैं कि पुरातत्व अधिकारियों की मंशा ठीक नहीं है। विभाग में कहा जा रहा है कि अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में रखी 70 फीसदी से अधिक बहुमूल्य पुरा सामग्रियां बर्बाद हो चुकी है, क्योंकि विभाग के अधिकारियो की लापरवाही के कारण सात महीने होने को आए अभी तो इनके डाक्यूमेंटेशन का काम शुरू हुआ है।

इतने समय में कपड़े, चमड़े, मिट्टी, लकड़ी व अन्य कलाकृतियां नष्ट हो चुकी है। सामग्रियों के नष्ट होने के पीछे अधिकारियों को दोषी माना जा रहा है। देशभर में पुरा सामग्रियों की बर्बादी का शायद ही इससे बड़ा कोई अन्य मामला सामने आया हो। इसके बावजूद निदेशक की ओर से न तो मामले की जांच कराई जा रही है और न ही दोषी अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है, बल्कि संरक्षण के नाम पर मामले को दबाने की कोशिशें हो रही है, ताकि लापरवाह अधिकारी की करतूत समाने नहीं आ पाए और उसे बचाया जा सके।

एडमा इसलिए निशाने पर
सूत्रों का कहना है कि पुरातत्व विभाग में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है और यह मामले शासन सचिव की नजर में है। शासन सचिव इन मामलों में सख्त कदम उठा रही है, जिससे पुरातत्व अधिकारियों और शासन सचिव के मध्य शीतयुद्ध जैसी स्थितियां चल रही है। शासन सचिव एडमा की भी सीईओ है, इसलिए विभाग के अधिकारी हर मामले में एडमा को घेरने में लगे हैं।

यह भी एक कारण
पुरातत्व सूत्रों के अनुसार विभाग के मुख्यालय और अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में पानी भरने के बाद कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला अल्बर्ट हॉल के दौरे पर आए थे। इस दौरान पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा ने स्वयं मंत्री जी को कहा था कि एडमा का भी चार्ज उन्हें ही दे दिया जाए, लेकिन कल्ला ने शर्मा को चार्ज नहीं दिया। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि शर्मा भाजपा के करीबी अधिकारी बताए जाते हैं।भाजपा सरकार के दौैरान वह पूरे समय सीएमओ मेंं तैनात रहे थे।

यह अधिकारी हुए शामिल
बैठक में पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा के साथ आमेर अधीक्षक पंकज धरेंद्र, अल्बर्ट हॉल अधीक्षक राकेश छोलक, हवामहल अधीक्षक सरोजिनी चंचलानी, जंतर-मंतर अधीक्षक आरिफ, वृत्त अधीक्षक सोहनलाल चौधरी, एडमा की तरफ से कार्यकारी निदेशक कार्य दीप्ति कछवाहा, कार्यकारी निदेशक फाइनेंस नरेंद्र सिंह, कार्यकारी निदेशक कार्य, अधिशाषी अभियंता रवि गुप्ता, सहायक अभियंता योगेश माथुर शामिल हुए थे।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट लाइव ‘मंत्रीजी नए म्यूजियम की नहीं, नए मुख्यालय की जरूरत’, ‘पुरा सामग्रियों को फिर से खतरे में डालने की तैयारी’, ‘सितंबर में रसायनशास्त्री रिटायर, भीगी कलाकृतियों की कैसे होगी संभाल’, ‘पुरा सामग्रियों की बर्बादी के लिए पुरातत्व विभाग जिम्मेदार’, ‘पुरातत्व विभाग के आखिरकार बुलाने पड़े विशेषज्ञ’, ‘राजस्थान पुरातत्व विभाग का फंड क्लियर नहीं हुआ तो जयपुर अल्बर्ट हॉल में पानी से भीगी पुरा सामग्रियों को अभी तक नहीं मिला ट्रीटमेंट’, ‘इजिप्ट और जयपुर का वातावरण एक जैसा, प्राचीन ममी को बेसमेंट में रखना भी भयंकर भूल’, ‘अमूल्य धरोहरों से वंचित होगा राजस्थान, पुरा सामग्रियों का संरक्षण नहीं अब होगा अपलेखन’सहित अन्य खबरें प्रकाशित कर पुरातत्व विभाग में फैले भ्रष्टाचार, अधिकारियों की लापरवाही और कामचोरी को उजागर किया था।

Archaeological officer engaged in describing as 'service' the preservation work of the ancient artifacts of Albert Hall, soaked in water, questions raised on the intention

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