मौसम में हुए बदलाव और बरसात के दिनों में वातावरण में वायरस भी सक्रिय हो जाते हैं। मानसून में होने वाली आंखों की बीमारियों में से कंजेक्टिवाइटिस (आई फ्लू) भी रोग है। बारिश के मौसम में इसके मामले बढ़ जाते हैं। कई राज्यों में आई फ्लू के रोगी बढ़े हैं।
सीएमएचओ डॉ निर्मल सिंह ने बताया कि कंजेक्टवाइटिस एक संक्रमण रोग है, एक वायरस है। मौसम में बदलाव की वजह से आई फ्लू के केस बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि आई फ्लू के कारण आंखें लाल हो जाती हैं तथा आंखों में सूजन आ जाती है। आंखों में खुजली होती है। आंखों से पीले रंग का पीप आता है और आंखों की पलकें आपस में चिपक जाती हैं। बच्चों को आई फ्लू के साथ बुखार भी आ सकता है।
उन्होंने बताया कि कंजेक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आंखों की सफाई के लिए साफ रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए। आंखों को बार बार नहीं छूना चाहिए। खुजली होने पर मसलना नहीं चाहिए। काले चश्में का उपयोग करना चाहिए। कांटेक्ट लैंस का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आंखों में धुंधलापन और लक्षणों में अत्यधिक समस्या आने पर या किसी प्रकार की सर्जरी के बाद आई फ्लू होने पर शीघ्र चिकित्सक से सलाह लें। कंजेक्टिवाइटिस से बचाव के लिए हाथों को साबुन से साफ रखें। आंखों को साफ पानी से धोएं। संक्रमित व्यक्ति के तौलिये, रूमाल, कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करें। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए।
क्या करें
नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं
साफ तौलिए का उपयोग करें।
अपनी आंखों को साफ तौलिये से साफ करें।
अपनी आंखों को आराम दें और स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय कम से कम करें।
क्या न करें
रगड़ने से बचें, संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए अपनी आंखों को रगड़ने से बचें।
तौलिए, आंखों से सौंदर्य प्रसाधन या व्यक्तिगत सामान साझा नहीं करें।
धुएं से दूर रहें, धूएं और जलन पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आना कम से कम करें।