राजनीति

नीतीश कुमार की ‘माइक्रो प्लानिंग’: बिहार में नए राजनीतिक समीकरण का संकेत?

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाने में पूरी तरह व्यस्त हैं। उनकी हरकतों और बयानों से यह स्पष्ट है कि वह किसी भी हाल में जदयू की खोई हुई राजनीतिक ताकत वापस लाना चाहते हैं। उनकी यह “माइक्रो प्लानिंग” संकेत देती है कि बिहार में बड़ा राजनीतिक खेला हो सकता है।
नीतीश का ‘गलतियां न दोहराने’ का वादा
नीतीश कुमार बार-बार यह दावा करते हैं कि वह भाजपा और आरजेडी के साथ जुड़ने में की गई पुरानी गलतियों को दोबारा नहीं दोहराएंगे।
• भाजपा के साथ रिश्ते: नीतीश ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के सामने कहा कि उन्होंने दो बार आरजेडी से हाथ मिलाकर गलती की थी।
• भरोसे का संकट: हालांकि, उनकी इन बातों पर न भाजपा को विश्वास हो रहा है, न ही आरजेडी को। आरजेडी के नेता खुले तौर पर कहते हैं कि नीतीश “कभी भी पलटी मार सकते हैं।”

मुस्लिम वोटों पर फोकस
नीतीश कुमार की हालिया गतिविधियां मुस्लिम समुदाय का समर्थन मजबूत करने की ओर इशारा करती हैं।
• वक्फ बोर्ड मुद्दा: मुस्लिम संगठनों ने चेतावनी दी है कि वक्फ संशोधन बिल पर समर्थन न मिलने पर नीतीश का सीएम बने रहना मुश्किल हो सकता है।
• अल्पसंख्यक योजनाएं: हाल ही में मसौढ़ी में 880 आवासीय क्षमता वाले अल्पसंख्यक विद्यालय के लिए 56 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
जातीय समीकरण और संगठन पर फोकस
नीतीश कुमार ने संगठन को मजबूत करने के साथ जातीय संतुलन पर ध्यान दिया है।
• दलित और ईबीसी पर जोर: बिहार में 60% आबादी दलित और ईबीसी वर्ग की है। इस वर्ग को साधने के लिए श्याम रजक और अशोक चौधरी जैसे नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं।
• संगठनात्मक बदलाव: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जेडीयू को मजबूत करने के लिए नई कार्यकारिणी और समितियों का गठन किया गया है।
झारखंड चुनाव: अंतिम अस्त्र?
नीतीश कुमार झारखंड चुनाव पर भी नजर बनाए हुए हैं।
• भाजपा से असंतोष: जेडीयू को झारखंड में केवल दो सीटें दी गईं, जिससे नाराजगी जाहिर होती है।
• नीतीश की रणनीति: झारखंड में भाजपा की संभावित हार बिहार में नीतीश को भाजपा के खिलाफ नई रणनीति बनाने का मौका दे सकती है।
सरकार में सक्रियता बढ़ी
नीतीश सरकार हाल ही में सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक फेरबदल पर जोर दे रही है।
• रोजगार: सरकार ने अगले चुनाव तक 12 लाख रोजगार देने का वादा किया है।
• पारदर्शिता: योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए इंजीनियरों से शपथ पत्र भरवाए जा रहे हैं।
क्या होगा नीतीश का अगला कदम?
नीतीश कुमार की हालिया गतिविधियां यह संकेत देती हैं कि वह बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं।
• भाजपा से दूरी: अगर झारखंड में भाजपा कमजोर होती है, तो नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर नया गठजोड़ बना सकते हैं।
• मुस्लिम और पिछड़े वर्ग का समर्थन: इन समुदायों का समर्थन उनके लिए भविष्य की राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
नीतीश कुमार अपनी “माइक्रो प्लानिंग” के जरिए बिहार की राजनीति में नए समीकरण तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। झारखंड के चुनाव परिणाम उनके लिए बिहार में सियासी खेला करने का सुनहरा मौका बन सकते हैं।

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