महुआ के पुजारी शंभू की लाश शुक्रवार को भी सिविल लाइंस फाटक पर रखी रही और भाजपा नेताओं का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। कहा जा रहा है कि दूसरे दिन भी फाटक पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ नहीं जुट पाई, बल्कि धरने पर बैठे ब्राह्मण संगठनों में ही फूट पड़ गई। उधर भीड़ नहीं जुटने पर सांसद किरोड़ीलाल मीणा भी जयपुर के नेताओं पर झल्ला गए। कहा जा रहा है कि भाजपा ने जिस उद्देश्य से यह धरना शुरू किया था, उसका लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, इसलिए अब भाजपा नेता भी धरने से गायब हो रहे हैं।
उधर कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि भाजपा उपचुनावों में राजनीतिक फायदा लेने के लिए लाश पर राजनीति कर रही है। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भाजपा के धरने पर कहा कि भाजपा शुरू से ही षड़यंत्र की राजनीति करती आई है, उन्हें पुजारी या उसके परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार पुजारी के परिवार के साथ सिम्पैथी रखती है और जो दोषी है उनके खिलाफ जांच करके कार्रवाई की जाएगी।
खाचरियावास ने कहा कि चोरी-छिपे लाश यहां लाकर रख दी और उसपर जो राजनीति हो रही है। भाजपा का स्तर गिर चुका है। उनके नेताओं के साथ कार्यकर्ता नहीं है। पूरे प्रदेश में जब बड़ी तेजी के साथ कोरोना फैल रहा है, उस समय भाजपा ने फाटक पर अचानक लाश रखकर और भीड़ जुटाकर आस-पास रहने वाले लोगों पर भी संकट खड़ा कर दिया है। जहां लाश थी, भाजपा वहीं पर धरना कर सकती थी, लेकिन वह लाश को जयपुर लेकर आए, इससे साबित होता है कि भाजपा तो सिर्फ उपचुनावों को प्रभावित करने के लिए षडय़ंत्र की राजनीति कर रही है। वह इस षडय़ंत्र में सफल नहीं होगी।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि किरोड़ीलाल मीणा धरने पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ नहीं जुटने के कारण जयपुर के नेताओं पर काफी नाराज हुए। इस दौरान धरने पर बैठे दो ब्राह्मण संगठनों के बीच झगड़ा हो गया और दोनों ने एक दूसरे पर समाज के नाम पर दुकानें चलाने के आरोप लगाए, जिससे माहौल गरमा गया। बाद में मीणा ने ही किसी तरह दोनों संगठनों के लोगों को शांत कराया।
दूसरे दिन के घटनाक्रम के बाद भाजपा में कहा जा रहा है कि महुआ में धरना दे रहे लोगों पर लाठीचार्ज में एक युवक घायल हो गया, जिसकी बाद में मौत हो गई, लेकिन इसका भी उपचुनावों में कोई फायदा भाजपा को नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में नेताओं को लग रहा है कि यदि सरकार जयपुर में शुरू हुए धरने पर कोई कार्रवाई करती है तो भाजपा को फायदा मिल जाएगा, लेकिन सरकार ने इस मसले में चुप्पी साध ली है, मानो सरकार भाजपा की मंशा को भांप गई और अब वह धरने के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रही।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत असम के दौरे पर चले गए। कांग्रेस नेता असम से आए विधायक प्रत्याशियों की आवभगत में लग गए हैं। अब दोबारा बातचीत की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
धरने के पीछे की राजनीति का नेताओं को भी पता है, इसलिए वह भी धरने से किनारा कर रहे हैं। पहले दिन धरने में जितने नेता दिखाई दिए थे, दूसरे दिन उनमें से आधे से ज्यादा गायब हो गए। भाजपा सूत्रों के अनुसार विद्याधर नगर, झोटवाड़ा, आदर्श नगर और आमेर से विधायक या विधायक प्रत्याशी एक दिन भी धरने पर नहीं आए। मालवीय नगर और सांगानेर विधायक दूसरे दिन धरने पर नजर नहीं आए।
किशनपोल और हवामहल से पूर्व विधायक दूसरे दिन धरने पर नहीं पहुंचे। ग्रेटर महापौर पहले दिन शाम के समय धरने पर पहुंची, लेकिन उपमहापौर अभी तक धरने पर नहीं पहुंचे। शहर में भाजपा के 150 के करीब पार्षद हैं, लेकिन अधिकांश दिखाई नहीं दे रहे हैं।