कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उमीद, मगर हमें तो तेरा इंतिज़ार करना था !
वेद माथुर
इस बजट की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें एक ओर तो आधारभूत ढांचे पर बड़ा निवेश करके रोजगार सृजित करने का प्रयास किया गया है तथा दूसरी ओर डिस्इन्वेस्टमेंट या प्राइवेटाइजेशन के माध्यम से सरकार ने आर्थिक संसाधन जुटाने की योजना बनाई है। डिसइनवेस्टमेंट या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का प्राइवेटाइजेशन बुरा नहीं है लेकिन यह भी सोचा जाना चाहिए कि कहीं यह किसी गांव के बेरोजगार युवक का खेती की जमीन बेचकर आवारागर्दी के लिए मोटरसाइकिल खरीदने जैसा तो नहीं है। डिसइनवेस्टमेंट से आने वाली आय का उपयोग किस तरह से नए रोजगार सृजित करने और गरीबी उन्मूलन के लिए होगा ,यह स्पष्ट नहीं है।
इस बजट में स्वास्थ्य के लिए इस बार कुल 2.23 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, पिछले वर्ष की तुलना में यह 137 फीसदी की बढ़ोतरी है। यह वृद्धि संतोषप्रद है लेकिन यदि इसमें से कोरोना वैक्सीनेशन के लिए रखे गए 35 हजार करोड़ रुपए निकाल दिए जाएं तो बड़े अस्पतालों और कोरोना जैसी आपात बीमारियों से निपटने के लिए कोई खास फंड नहीं बचेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए 4378 शहरी स्थानीय निकायों के लिए 2.87 लाख करोड़ रुपए के व्यय के साथ ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की। ‘ जल जीवन मिशन (शहरी) लॉन्च किया जाएगा, इसका उद्देश्य 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.86 करोड़ घरेलू नल कनेक्शनों को सर्वसुलभ जल आपूर्ति व्यवस्था करना है। जल हर आदमी की मूलभूत आवश्यकता है तथा इस पर फोकस किया जाना सराहनीय है। 20 साल पुरानी व्यक्तिगत गाड़ी और 15 साल पुरानी कॉमर्शियल गाड़ियों के लिए स्क्रैप पॉलिसी का ऐलान इस दृष्टि से बुद्धिमत्ता है कि पुरानी गाड़ियों को नष्ट करने पर ही नए वाहनों की बिक्री और उत्पादन बढ़ेगा तथा इस क्षेत्र में आयी मंदी रुकेगी।
इस वित्त वर्ष में 11हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाने का लक्ष्य जोगी सराहनीय है लेकिन इस बजट का मुख्य भाग केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम के लिए हाईवे प्रोजेक्ट का किया जाएगा जहां चुनाव होने वाले हैं। इसका मतलब यह हुआ कि जहां चुनाव नहीं है वह फिलहाल विकास के हकदार नहीं हैं।
रेलवे के लिए वित्त मंत्री ने 1.10 लाख करोड़ रुपए के फंड का ऐलान किया है लेकिन रेल यात्रा की मांग और रेलवे में नवीकरण की जरूरतों को देखते हुए यह अपर्याप्त लगता है। हर साल की तरह इस साल भी मध्यमवर्ग को आयकर की दरों में कुछ छूट की आशा थी लेकिन वह नहीं मिली तो उन लोगों को गम भुलाने के लिए यह ग़ज़ल समर्पित है-
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे और आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया
वो मिरे हैं मुझे मिल जाएँगे आ जाएँगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया
आप को प्यार है मुझ से कि नहीं है मुझ से
जाने क्यूँ ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया!