जयपुर

केपेस्टन मीटर की अरबों की जमीन को खुर्द-बुर्द करने का जेडीए पर लगा आरोप

टोंक रोड़ गोपालपुरा चौराहे के समीप है 7.5 एकड़ जमीन

जयपुर। सरकार में बेशकीमती सरकारी जमीनों को चहेतों को बेचने का खेल फलफूल रहा है। ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है। पूर्व पार्षद विनीत सांखला ने बताया कि शहर के टोंक रोड और जेएलएन मार्ग के बीच बेशकीमती 7.5 एकड़ (30351 वर्ग मीटर) भूमि है। दशकों से खाली पड़ी इस जमीन का भू-उपयोग निर्धारण करने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि इसमें से करीब 11 हजार वर्गमीटर जमीन सरकारी है, जिसकी बाजार कीमत 125 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है। जो बाकी जमीन है, उसे सरकार ने कुछ शर्तों के साथ वर्षों पहले अवाप्ति से मुक्त किया था।

गंभीर यह है कि चहेतों को उपकृत करने के लिए नियमों में छूट देने का प्लान तैयार कर लिया गया है। यहां तक की निर्धारित सड़क चौड़ाई की जरूरत को भी दरकिनार किया जा रहा है। जेडीए की लैंड यूज चेंज कमेटी ने इस जमीन का भू उपयोग मिश्रित करने की सिफारिश कर प्रस्ताव राज्य स्तरीय भूउपयोग निर्धारण कमेटी को भेज दिया है। अब मुख्य नगर नियोजक कार्यालय ने कुछ जानकारी मांगी है।

सांखला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मांग की है कि जेडीए जयपुर के अधिकारियों द्वारा केपेस्टन मीटर कम्पनी के मालिकों से मिलिभगत कर इस बेशकीमती भूमि को खुर्दबुर्द करने के गभीर आरोप लगाते हुए जेडीए द्वारा पूर्व में अस्पताल के लिए छोड़ी सरकारी सरकारी भूमि को मास्टर प्लान को दरकिनार कर बेशकीमती 7.5 एकड़ जमीन के भू उपयोग बदलकर एकल पट्टा दिये जाने पर सवाल उठाए हैं। सांखला ने इस बाबत जेडीए कार्यालय में अपनी आपत्ति भी दर्ज करवा दी है जिससे जेडीए में हडकंप मचा हुआ है।

-टोंक रोड और जेएलएन मार्ग के बीच है जमीन
-जेडीए ने चहेतों को उपकृत करने के लिए नियमों में छूट का प्लान तैयार कर सरकार को भेजा, मिश्रित भू उपयोग करने की सिफारिश
-निर्धारित सड़क चौड़ाई की जरूरत को भी किया दरकिनार
-इस जमीन में से 1100 वर्गमीटर भूमि सरकारी, जिसकी बाजार कीमत 125 करोड़ से ज्यादा
-सरकार ने कई शर्तों के साथ अवाप्ति से मुक्त किया था जमीन को, शर्तों की पालना भी नहीं
-वर्ष 2001 से पहले की फाइल व 2013 से पहले की नोटशीट भी गुम
-कैपस्टन मीटर्स इंडिया लिमिटेड और जय ड्रिंक्स प्रा.लि.की इस जमीन को राज्य सरकार ने अधिग्रहित किया था
-सरकार ने 2 दिसम्बर, 1987 को कुछ शर्तों के साथ जमीन को अवाप्ति से मुक्त कर दिया
-जमीन का भू उपयोग विशिष्ट क्षेत्र से मिश्रित करने का तैयार किया प्लान
-पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ने जयपुर विकास प्राधिकरण में आवेदन किया

अवाप्ति से मुक्त करने की शर्तें
-इस मामले में कुल जमीन 15 एकड़ भूमि है। जमीन मालिक इस भूमि को चैरिटेबल ट्रस्ट को दान में देंगे।
-चैरिटेबल ट्रस्ट इसमें से आधी 7.5 एकड़ जमीन बेच सकेगा। बाकी जमीन पर अनाथालाय या चिल्ड्रन होम कम वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाएगा।
-7.5 एकड़ जमीन बेचने से जो राशि मिलेेगी, उससे इस सेंटर का निर्माण और संचालन किया जाएगा। सेंटर का निर्माण कार्य तीन वर्ष की अवधि में करना होगा।
-शर्तों की पालना नहीं करने पर राज्य सरकार कार्रवाई के स्वतंत्र होगी

शर्तों के पालना की स्थिति
-जमीन पर सेंटर का निर्माण 3 वर्ष में करना था, लेकिन मौके पर कुछ नहीं हुआ।
-जेडीए ने 23 जनवरी, 2013 को अनुमोदित नक्शे जारी कर दिए थे और निर्माण वर्ष 2019 तक पूरा करना था। लेकिन ब्लॉक ए व बी का ही निर्माण किया गया है। ब्लॉक सी का निर्माण नहीं किया गया। इन ब्लॉक्स में किसी का रहवास भी शुरू नहीं हुआ है।
-जिस पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ने भूउपयोग निर्धारण के लिए आवेदन किया है, उसके नाम में ट्रस्ट अंकित नहीं है। जबकि, चैरिटेबल ट्रस्ट तक अस्तित्व में आ जाना चाहिए था।

इसलिए भी उठ रहे सवाल
निर्धारित शर्त के अनुसार जमीन बेचान के लिए ट्रस्ट को एक समिति का गठन करना था, लेकिन पुष्पा फाउंडेशन ने भू उपयोग निर्धारण के लिए जो आवेदन किया है, उसमें ऐसी किसी समिति की बैठक के कार्यवाही विवरण का हवाला नहीं दिया गया। यह भी नहीं बताया कि इस बैठक में जेडीए व सरकार के प्रतिनिधि को आमंत्रित किया था या नहीं। जबकि, गठित समिति में राज्य सरकार व जेडीए के एक-एक प्रतिनिधि शामिल करना तय किया गया था।

फाइल और नोटशीट भी गुम!
यह जमीन खसरा नंबर 177 व 178 पर स्थित है। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार खसरा नंबर 178 की 11782.78 वर्गमीटर भूमि सरकारी दर्ज है। 7.5 एकड़ भूमि को इंडस्ट्रीज कैपस्टन मीटर्स इंडिया को औद्योगिक प्रयोजन के लिए लीज पर दिया गया था। इसके लिए जेडीए ने 9 जून, 1999 को सरकार को पत्र लिखा। इसमें बताया गया कि जमीन का उपयोग औद्योगिक प्रयोजन से नहीं होने के कारण लीज निरस्त की जानी चाहिए। साथ ही इसमें जो सरकारी भूमि शामिल है, उसका मुआवजा दिए बिना अधिग्रहित की जानी चाहिए। गंभीर यह है कि इस मामले से जुड़ी फाइल वर्ष 2001 से पहले की गुम है। साथ ही नोटशीट 14 अगस्त, 2013 से नहीं मिल रही।

भाजपा सरकार में भी
-पुष्पा फाउंडेशन के इस जमीन का भू उपयोग आवासीय करने के आवेदन पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने 3 जुलाई, 2017 को जेडीए को निर्देश दिए कि भूमि का भू उपयोग आवासीय किया जाए।
-इसके बाद जयपुर विकास प्राधिकरण ने जेडीए सचिव, अतिरिक्त आयुक्त प्रशासन, वित्त निदेशक और जोन उपायुक्त की एक समिति का गठन किया।
-जेडीए ने सरकार से मार्गदर्शन लेने के लिए 9 जून, 1999 को पत्र भेजा। तब तक जमीन का भू उपयोग विशिष्ट क्षेत्र से आवासीय करने की जेडीए ने कार्यवाही तब नहीं की।
-पुष्पा फाउंडेशन की ओर से भूमि का भू उपयोग मिश्रित चाहा गया है जो मास्टर प्लान के अनुसार संभव नहीं है। इसके लिए मास्टर प्लान में संशोधन करना होगा।
-मास्टर प्लान में मिश्रित भू उपयोग की नीति निर्धारित की गई है। इसके तहत 80 फीट और इससे अधिक चौड़ी सड़कों पर ही मिश्रित भू उपयोग की स्वीकृति दी जा सकती है। जबकि, इस मामले में जमीन 60 फीट चौड़ी सड़क पर स्थित है।

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