जयपुर। कांग्रेस के चिंतन शिविर के दूसरे दिन शुरू हुई चर्चा में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता करते हुए भाजपप को आड़े हाथों लिया। चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थक नीतियां देश हित में नहीं हैै। सरकार इस देश में सबसे ज्यादा रोजगार देती है, लेकिन मोदी सरकार ने नई भर्तियों के दरवाजे बंद कर दिए हैंं।
कांग्रेस के नव चिंतन संकल्प शिविर में दूसरे दिन अर्थव्यवस्था को लेकर अहम बैठक हुई। बैठक में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए और चर्चा के बाद चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे पर सरकार को जमकर कोसा। चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थक नीतियां किसी भी तरह से देश हित में नहीं है। जीएसटी के गलत इंप्लीमेंटेशन की वजह से देश के सभी राज्यों की हालत खराब हो गई है। राज्यों को जीएसटी का पैसा समय पर नहीं दिया जा रहा है। आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार गलत कदम उठाते ही जा रही है। हमने चिंतन शिविर में देश के आर्थिक हालात और आगे के कदमों पर विस्तार से चर्चा की है।
चिदंबरम ने आगे कहा कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि उदारीकरण के 30 साल के बाद अब आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने पर विचार किया जाए, लेकिन हमारी इस मांग का यह मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस उदारीकरण से पीछे हट रही है, बल्कि उदारीकरण के बाद पार्टी आगे की ओर कदम बढ़ा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान रही है। आज महंगाई बढ़ रही है, लेकिन केंद्र की इसे लेकर कोई तैयारी नहीं है। केंद्र सरकार गेहूं का निर्यात कर रही है जबकि देश में स्टोरेज की व्यवस्था ही नहीं है। केंद्र सरकार किसान हितैषी नहीं है। मुझे 1991 की पॉलिसी बनाने का फस्ट हैंड एक्सपीरियंस हैं, आज पॉलिसीज को फाइन ट्यून करने की जरूरत है, अब रिसेट करने की जरूरत है।
चिदंबरम ने कहा कि आज भी देश में 50 फीसदी महिलाएं एनिमिया से पीड़ित हैं। आज हलाल और झटका मीट जैसी बातें उठाकर विवाद पैदा करने का कोई तुक नहीं है। हलाल और झटका से ज्यादा अहम पोषण और भुखमरी मिटाने पर ज्यादा फोकस हो, बहस उस पर हो।
कोरोना का जिक्र करते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार बहुत साधारण और अवरोध से भरा रहा है। पिछले पांच महीनों के दौरान समय समय पर 2022-23 के लिए विकास दर का अनुमान कम किया जाता रहा है। आज पूरे देश में महंगाई अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गई है और आगे भी इसके बढ़ते रहने की आशंका है और साथ ही रोजगार की स्थिति कभी भी इतनी खराब नहीं रही। मोदी सरकार युवा, गरीब, दलित-आदिवासी विरोधी सरकार है। यह जनविरोधी सरकार हैं। सेना मेें 3 साल से कोई भर्ती नहीं कर रही है। सरकार ने हर स्तर पर भर्तियां बंद कर दी हैं।बढ़ती महंगाई का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई के लिए रूस-यूक्रेन वॉर को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती। यूक्रेन वॉर से पहले ही तेल की कीमतें ज्यादा है। कीमतें ज्यादा होने का कारण पेट्रोल-डीजल पर हाई टैक्स है। आज महंगाई बढ़ रही है, लेकिन केंद्र की कोई तैयारी नहीं है।