जयपुर

चौतरफा घिर गयीं निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर, कोर्ट से राहत मिल भी गई तो एसीबी जांच में उलझ सकती हैं.., क्या भाजपा उनसे इस्तीफा मांगेगी..?

जयपुर नगर निगम ग्रेटर की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर अब भाजपा के लिए गले की हड्डी बन चुकी है, जो न तो निगलते बन रही है और न ही उगलते बन रही है। जानकारों का कहना है कि यदि सौम्या को कोर्ट से कोई राहत मिलती है, तो इस प्रकरण की जांच में वे उलझ जाएंगी, क्योंकि एसीबी इस मामले में एक्शन ले चुका है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा अब सौम्या के साथ किस तरह का व्यवहार करेगी।

गुर्जर के पति और करौली के पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर के बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों के वायरल वीडियो प्रकरण में अभी भाजपा प्रदेश नेतृत्व, संघ पदाधिकारी और दो केंद्रीय नेताओं के नामों पर भी उंगली उठाई जा रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों में भाजपा एकजुट हो सौम्या के साथ खड़ी दिखाई दे सकती है। भाजपा की कोशिश यह रहेगी कि अब कांग्रेस इस मामले में ज्यादा राजनीति नहीं कर पाए और मामला जल्द से जल्द शांत हो जाए।

उधर, कांग्रेस इस मामले में किसी प्रकार की रियायत के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस के हाथ यह ऐसा मामला लगा है, जिससे वह भाजपा प्रदेश नेतृत्व और संघ को परेशान कर सकती है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यदि इस मामले में भाजपा सौम्या के साथ खड़ी होती है या उन्हें कोर्ट से कोई राहत मिलती है तो सौम्या, उनके पति राजाराम और वीडियो में दिखाई दे रहे संघ पदाधिकारी जांच में उलझ सकते हैं। ऐसे में भाजपा के सामने सौम्या गुर्जर का इस्तीफा लेना ही अंतिम विकल्प बचता है।

इस मामले में बीवीजी कंपनी की ओर से सफाई दी जा रही है कि सीएसआर एक्टिविटी को लेकर यह बातचीत थी। ऐसे में सवाल उठता है कि कोई कंपनी अपने तीन साल के प्रॉफिट के करीब 2 फीसदी के हिसाब से सीएसआर एक्टिविटी के लिए विभिन्न संस्थाओं को फंड देती है, तो फिर वीडियो में दस फीसदी देने, चेक से देने की बात पर कैश देने, चेयरमैन की ब्लैकमेलिंग जैसी चर्चा क्यों हुई।

यदि कंपनी को सीएआर के तहत फंड देना था, तो उसने महापौर या आयुक्त से चर्चा क्यों नहीं की? किस हैसियत से राजाराम गुर्जर कंपनी के प्रतिनिधियों के चर्चा कर रहे थे? यदि कंपनी को प्रताप गौरव केंद्र के लिए सीएसआर के तहत फंड देना था तो राजाराम गुर्जर से चर्चा क्यों की जा रही थी?

इस प्रकरण में अभी तक संघ की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है लेकिन जब संघ के पदाधिकारियों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि राम मंदिर निर्माण सहयोग निधि के लिए उनके प्रचारक चर्चा करने गए थे। वायरल वीडियो 20 अप्रेल 2021 का बताया जा रहा है। राजाराम गुर्जर की ओर से राम मंदिर निर्माण के लिए एक करोड़ रुपए की सहयोग निधि उपलब्ध कराई गई थी। अब यह जांच का विषय है कि राजाराम ने सहयोग निधि 20 अप्रेल से पहले दी या बाद में। यदि उन्होंने इस बैठक के बाद सहयोग निधि दी, तो सवाल उठता है कि क्या कंपनी पर दबाव बनाकर मंदिर निर्माण के लिए सहयोग निधि दी गई।

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