राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने आज सुबह, मंगलवार 25 मई को पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को टैग करते एक के बाद एक ट्वीट किये। इन ट्वीट्स में उन्होंने केंद्र सरकार को कोरोना की तीसरी लहर के बारे में चेताया और वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के साथ कोरोना को लेकर बिगड़ते हालात का ठीकरा केंद्र सरकार के ऊपर फोड़ दिया। उनके इन ट्वीट्स के बाद राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राज्य सरकार पर अचानक हमलावर हो गए और उन्होंने कांग्रेस और मुख्यमंत्री गहलोत की कोरोना पर राजनीति को लेकर आरोपों की झड़ी लगा दी।
कोरोना की तीसरी लहर, वैक्सीन उत्पादन और बच्चे
गहलोत ने सुबह एक के बाद एक तीन ट्वीट्स किये और तीनों में ट्वीट्स में उन्होंने कोरोना को लेकर केंद्र को घेरा। उन्होंने पहले ट्वीट में कहा, ‘ 130 करोड़ आबादी वाले हमारे देश में शीघ्र ही सभी के लिए वैक्सीन का इंतजाम नहीं हुआ और कोरोना की तीसरी लहर ने बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया तो ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से जो स्थिति दूसरी लहर में बनी उससे कई गुना बदतर हालात तीसरी लहर में बनेंगे और हम बच्चों को बचा नहीं पायेंगे।’
अन्य ट्वीट में गहलोत ने पीएम मोदी और डॉ. हर्षवर्धन को किया टैग
गहलोत यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में पीएम नरेंद्र और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को टैग कर आरोप लगाते हुए कहा, ‘श्री @narendramodi जी एवं @drharshvardhan जी को वैक्सीन उत्पादन को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखना चाहिए था एवं इसके लिए आवश्यक हो तो कानून में बदलाव कर अन्य कंपनियों को भी वैक्सीन उत्पादन करने की अनुमति एवं प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। भारत वैक्सीन उत्पादन में दुनियाभर में सिरमौर माना जाता है। ’ इसके बाद गहलोत ने लगातार तीसरा ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को आंकडे़बाजी छोड़कर राज्यों को अधिकाधिक वैक्सीन उपलब्ध करना सुनिश्चित करना चाहिए। यदि तीसरी लहर ने बच्चों को प्रभावित किया तो देश कभी माफ नहीं करेगा।’
भाजपा ने पूछा, क्या मौतों के आंकड़े छिपाना ही ‘अशोक गहलोत मॉडल‘ है ?
इसके बाद राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुये कहा, प्रदेश के लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने में विफल सरकार का, क्या ये कोरोना कुप्रंबधन नहीं है, जहां सरकार खुद की विफलताओं को छिपाने के लिये मरीजों व मौतों के नाम पर आंकड़ेबाजी कर रही है, क्या मौतों के आंकड़े छिपाना ही ‘अशोक गहलोत मॉडल’ है, जिसमें ना मरीजों को समय पर इलाज मिल रहा व ना दवाइयां उपलब्ध हो रही, और ना चिरंजीवी योजना के जरिये निजी अस्पताल मरीजों का इलाज कर रहे हैं, इसके अलावा इलाज के नाम पर लोगों से निजी अस्पताल मनमाने दाम ले रहे हैं।
झूठे आरोप लगाकर गहलोत अपना कोरोना कुप्रबंधन नहीं छुपा सकतेः डॉ. पूनियां
डॉ. पूनियां ने मुख्यमंत्री गहलोत पर पलटवार करते हुये कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर झूठे आरोप लगाने से आप अपने कोरोना कुप्रबंधन को नहीं छुपा सकते। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में केन्द्र सरकार मजबूती से कोरोना से मुकाबला कर रही है, देश में लगभग 20 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, साथ ही तीसरे चरण में 18 से 44 आयु वर्ग के एक करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाया जाना भी एक बड़ी उपलब्धि है। इसके विपरीत गहलोत राजस्थान में ना अस्पतालों की दशा सुधार पाये, ना स्टाफ लगाया, एक वर्ष पहले मोदी सरकार द्वारा आवंटित की गई राशि से ना ऑक्सीजन प्लांट लगाये, ना राज्य में बैड और दवा की कालाबाजारी रोक पा रहे हैं।
राज्य की जनता कभी माफ नहीं करेगी
डॉ. पूनियां ने कहा, राज्य की जनता को गुमराह कर रहे गहलोत बतायें कि क्या 50 प्रतिशत वैक्सीनेशन राज्य की जिम्मेदारी नहीं है, चिकित्सा अव्यवस्थाओं के कारण मरीज अस्पताल के दरवाजों पर दम तोड़ रहे हैं, कोरोना प्रबंधन में फेल गहलोत सरकार मौत के भी आंकड़े भी छुपा रही है, क्या यही आपकी ‘जादूगरी’ है? राज्य की जनता आपको कभी माफ़ नहीं करेगी।
11 लाख वैक्सीन के डोज खराब होने का दोषी कौन?
डॉ. पूनियां ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को भेजी गई वैक्सीन में से लगभग 11 लाख वैक्सीन के डोज खराब हो जाना, इसका दोषी कौन है? केन्द्र द्वारा राज्य को 435 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचाई गई, इसके अलावा ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से 98 मीट्रिक टन ऑक्सीजन, 4 लाख 78 हजार से अधिक रेमेडिसवर इंजेक्शन, व अन्य इंजेक्शन 4 हजार से अधिक, 1900 वेंटिलेटर्स इत्यादि मदद की गई, बावजूद राज्य का कोरोना प्रबंधन संभालने में पूरी तरह विफल हो चुके अशोक गहलोत दिन-रात प्रधानमंत्री मोदी पर तथ्यहीन एवं झूठे आरोप लगाते रहते हैं।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह भी हुए हमलावर
केवल सतीश पूनियां ही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने भी 25 मई को ही वर्चुअल माध्यम से प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कोरोनाकाल में राज्य सरकार सिर्फ केन्द्र सरकार को दोष देने का ही काम कर रही है। हाल ही में कांग्रेस का टूलकिट सबके सामने आया जिसके माध्यम से कांग्रेस का राजनैतिक दृष्टिकोण साफ दिखाई दिया। राजस्थान सरकार का टूलकिट पहला तो कार्यशून्यता हो उसके आगे अज्ञानता हो उसके आगे बहानेबाजी हो, फिर झूठ बोलो उसके बाद लुका छिपी करो। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी आंकड़ा कहता है कि 1 अप्रेल से 20 मई तक 3 हजार 900 मौंते हुई है जबकि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 14400 से अधिक मौते हुई है। राजस्थान में गांव भगवान भरोसे है।
ऑक्सीजन राज्य में नहीं ला सकी राज्य सरकार
कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सितम्बर 2020 से मार्च 2021 तक देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ तीन बार संवाद किया और आगाह किया कि महामारी आने वाली है आप सतर्क रहो। प्रधानमंत्री जी ने 5 जनवरी 2021 को सभी राज्यों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए पीएम केयर फंड से 200 करोड़ से अधिक रुपये स्वीकृत किए जिनमें से 4 ऑक्सीजन प्लांट राजस्थान में भी लगने थे, आज की तारीख में राजस्थान के लिए 19 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत हो चुके है लेकिन कोरोना की पहली लहर से दूसरी लहर के बीच राजस्थान सरकार ने एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया। कोरोना की दूसरी लहर में जब हालात बेकाबू हुए और प्रदेश में ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी आने लगी तब राजस्थान सरकार द्वारा ऑक्सीजन के लिए हल्ला मचाया गया, केन्द्र सरकार ने रेलवे और सेना के हवाई जहाजों का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई लेकिन राजस्थान सरकार नहीं ला सकी क्योंकि उसके पास ऑक्सीजन कैरी करने के लिए साधनों की कमी थी।
राज्य सरकार लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाती को संक्रमण रोका जा सकता था
कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूर्णतया विफल रही है। एक वर्ष पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा वेंटिलेटर पहुंचा दिए गये लेकिन अभी तक इसके इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग देना तो दूर उन्हें कबाड़ में डाल दिया और खोला तक नहीं गया। कुछ स्थानों पर निजी अस्पतालों को किराये पर दे दिए और निजी अस्पतालों ने गरीब जनता को जमकर लूटा। सरकार प्रारम्भ से ही लॉकडाउन का पालन सख्ती से करवाती तो संक्रमण बढ़ने से रोका जा सकता था लेकिन सत्ताधारी लोगों के विवाह समारोह में भीड़ जमा हो रही थी। यह बीमारी सही समय पर पकड़ में आ जाये तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है, इसके लिए कोरोना के लक्षण दिखाई देते ही टेस्ट करवाना आवश्यक है लेकिन लगता है सरकार के लिए विधायकों का लॉयल्टी टेस्ट जरूरी है जनता का कोरोना टेस्ट नहीं, सरकार की छवि अच्छी रहे, आंकडे अच्छे आएं इसके लिए राज्य सरकार का एक ही नारा है ना होंगे कोरोना टेस्ट ना दिखेंगे केस।