कोटा के दोनों निगम कांग्रेस के पास, जयपुर में मुनेश गुर्जर हैरिटेज में तो सौम्या गुर्जर ग्रेटर में चुनी गई महापौर
जयपुर। प्रदेश के तीन प्रमुख शहरों के छह निगमों में मंगलवार को महापौर पद का चुनाव संपन्न हुआ। कांटे की टक्कर वाले जयपुर हैरिटेज और कोटा दक्षिण में कांग्रेस ने अपना बोर्ड बनाने की बाजी जीत ली है। दोनों निगमों में ही निर्दलीय कांग्रेस के तारणहार बने। जयपुर में एक बोर्ड कांग्रेस को तो एक बोर्ड भाजपा को मिला है। वहीं जोधपुर में भी एक बोर्ड भाजपा को तो एक बोर्ड कांग्रेस को मिला है। ऐसे में कांग्रेस को छह बोर्डों में से चार पर विजय मिली है और भाजपा को दो बोर्डों में।
जयपुर में नए बने नगर निगम हैरिटेज में कांग्रेस की मुनेश गुर्जर ने जीत दर्ज की है। मुनेश को 100 में से 56 वोट मिले। आठ निर्दलीय पार्षदों ने वोट देकर मुनेश को विजयी बनाया। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी कुसुम यादव के 44 वोट मिले। यादव के पक्ष में तीन निर्दलीय पार्षदों ने वोट दिया।
जयपुर ग्रेटर नगर निगम में भाजपा की सौम्या गुर्जर ने जीत दर्ज की। ग्रेटर में भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी, क्योंकि यहां के 150 पार्षदों में से 88 भाजपा के हैं और कांग्रेस के 49 पार्षद हैं। ग्रेटर के 150 पार्षदों में से 97 ने सौम्या को मत दिया और उन्हें विजयी बनाया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी दिव्या गुर्जर को 53 पार्षदों ने वोट दिया।
80 पार्षदों वाले जोधपुर उत्तर में कांग्रेस की कुंती परिहार ने 61 मत लेकर विजय पाई। वहीं भाजपा की संगीता सोलंकी को मात्र 19 वोट मत ही मिल पाए। यहां कांग्रेस के 58, भाजपा के 19 और 8 निर्दलीय पार्षद हैं। जोधपुर दक्षिण में भाजपा की वनिता सेठ ने विजय दर्ज की। सेठ ने दस मतों से कांग्रेस की पूजा पारीक को शिकस्त दी। यहां एक क्रॉस वोटिंग भी हुई है। यहां भाजपा के 43, कांग्रेस के 29 और 8 निर्दलीय पार्षद हैं।
कोटा के दोनों नगर निगमों में कांग्रेस ने भाजपा को झटका देते हुए अपना बोर्ड बनाया है। कोटा उत्तर में कांग्रेस की मंजू मेहरा ने भाजपा की संतोष बैरवा को पराजित किया। कोटा उत्तर के 70 पार्षदों में से कांग्रेस के 42, भाजपा के 13 और 5 निर्दलीय पार्षद हैं, इसलिए यहां मुकाबला एकतरफा था।
महापौर पद के लिए सबसे दिलचस्प मुकाबला कोटा दक्षिण में देखने को मिला। यहां कांग्रेस के राजीव अग्रवाल ने भाजपा के विवेक राजवंशी को मात देकर बाजी मारी। इस निगम में दोनों दलों के 36-36 पार्षद और और आठ निर्दलीय पार्षद बने हैं। ऐसे में दोनों ही दलों के पास बहुमत नहीं था। महापौर की जीत निर्दलियों पर टिकी थी। यहां आठ में से पांच निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस को वोट दिया और तीन पार्षदों ने भाजपा के पक्ष में वोट करा। भाजपा के एक पार्षद की क्रॉस वोटिंग भी हुई और अग्रवाल ने 41 मतों से जीत दर्ज की।