जयपुरराजनीति

कांग्रेस ने बागी विधायकों की घर वापसी के लिए चला दांव

10 से 12 विधायकों की वापसी की उम्मीद

पायलट को कहा कि हरियाणा सरकार की मेजबानी छोड़ें

जयपुर। कांग्रेस से बागी हुए युवा सचिन पायलट अभी तक सोच-विचार में ही खोए हुए हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ताबड़तोड़ बैटिंग कर दी। पायलट चारों खाने चित्त हो चुके हैं और कांग्रेस की ओर से लगातार प्रहार किए जा रहे हैं। कांग्रेस अब इस प्रयास में लगी है कि पायलट खेमे में गए 10 से 12 विधायकों की किसी प्रकार घर वापसी हो जाए।

इसी को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पायलट को उकसाने की कोशिश की गई कि अगर पायलट भाजपा में नहीं जाना चाहते हैं तो फिर वह हरियाणा सरकार की मेजबानी क्यों स्वीकार किए हुए हैं। पायलट को यह मेजबानी ठुकरानी चाहिए और वापस अपने घर की तरफ लौटना चाहिए।

क्यों वह और उनके समर्थक विधायक मानेसर और गुड़गावा के होटलों में रुके हुए हैं। अगर वह भाजपा में नहीं जाना चाहते तो उन्हें खट्टर सरकार के चंगुल से बहार आना होगा। हरियाणा पुलिस की सुरक्षा को छोड़ना होगा।

जानकारी के अनुसार पायलट खेेमे में आधे से ज्यादा विधायकों का अभी तक पायलट से मोहभंग हो चुका है, क्योंकि वह अभी तक किसी भी प्रकार के निर्णय की स्थिति में नहीं है। राजनीति में अनिर्णय की स्थिति खतरनाक होती है। इनमें भी खासकर युवा विधायकों को अपने राजनीतिक कैरियर की चिंता सताने लगी है। वह चाह रहे हैं कि किसी भी प्रकार से हरियाणा सरकार की बाड़ेबंदी से बाहर निकलें और घर वापसी करें, क्योंकि इसी में उनकी भलाई है।

कांग्रेस भी यही चाहती है कि विधायकों की बाड़ाबंदी टूटे और विधायक बाहर आएं तो उनकी घर वापसी कराई जाए, जिससे भविष्य में राजस्थान सरकार को आने वाले संकटों के लिए मजबूत किया जा सके। यदि सचिन खेमे से 10-12 विधायक फिर से उनको मिलते हैं, तो वर्तमान का संकट पूरी तरह से टल जाएगा।

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि दौसा जिले के विधायक मुरारी मीणा और बांदीकुई से विधायक जी आर खटाणा पायलट के सबसे करीबी हैं और इनकी वापसी संभव नहीं है।

विराट नगर के विधायक इंद्रराज गुर्जर और नीम का थाना के विधायक सुरेश मोदी को सचिन पायलट ने ही वरिष्ठों को दरकिनार कर टिकट दिलाया था। इनमें भी सुरेश मोदी पायलट का साथ छोड़ सकते हैं। इंद्रराज जातिवादी कारण से पायलट के साथ रहेंगे।

बुजुर्ग विधायकों में भंवरलाल शर्मा, दीपेंद्र सिंह और हेमाराम चौधरी इस लिए नाराज हैं कि वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, लेकिन मंत्रीमंडल में आधे मंत्री पायलट की सिफारिश से बनाए गए हैं। पायलट ने जो नाम दिए उन्हें मंत्री बनाया गया। अब इन तीनों की गहलोत से नाराजगी बिना कारण है।

दीपेंद्र सिंह भी पुत्र मोह में फंसे हुए हैं। उनके पुत्र पायलट के करीबी बताए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि यह तीनों विधायक भी मौका मिलते ही घर वापसी कर सकते हैं।

विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा की गहलोत से कोई विशेष नाराजगी नहीं है। वह चाहते थे कि उनके इलाके में वही काम होना चाहिए, जो वह चाहते हैं, जो कि संभव नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इन दोनों को भी कांग्रेस मना लेगी। वेद सोलंकी भी ऐसे विधायक हैं जिनकी घर वापसी हो सकती है।

अन्य बचे विधायकों में से भी एक-दो को छोड़कर बाकी विधायक अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए घर वापसी कर सकते हैं, क्योंकि उनमें गहलोत से विवाद बढ़ाए रखने की ताकत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने 13 जुलाई को ‘सचिन नहीं, सचिन के साथ गए विधायकों को वापस बुलाने की कवायद’ खबर प्रकाशित कर बता दिया था कि अब कांग्रेस को सचिन पायलट से कोई लेना-देना नहीं रह गया है।

कांग्रेस इस जुगाड़ में है कि राजस्थान सरकार को मजबूती प्रदान करने के लिए पायलट खेमे से कुछ विधायकों को फिर से तोड़कर सरकार के साथ लाया जाए, ताकि भविष्य में भाजपा की ओर से होने वाले हमलों से आसानी से निपटा जा सके।

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