जयपुर। किसान आंदोलन को ज्यादा मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस किसानों के साथ मजदूरों, दुकानदारों, छोटे व्यापारियों और आढ़तियों को भी साथ लेकर आएगी। देश की आबादी में 40 फीसदी लोग इन्हीं वर्गों से आते हैं और केंद्र सरकार इनकी कृषि को एक-दो लोगों के हाथ में सौंपना चाहती है। यह कहना है कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का।
गांधी शुक्रवार, 12 फरवरी को हनुमानगढ़ के पीलीबंगा और पदमपुर में किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। गांधी ने केंद्र की किसान कानूनों के पीछे की सोच और लक्ष्य को समझाते हुए कहा कि भारत ही क्या विश्व का सबसे बड़ा व्यवसाय कृषि है और इससे करोड़ों लोगों को भोजन मिलता है। इस व्यवसाय में देश की 40 फीसदी जनता भागीदार है। इस पूरे व्यवसाय को किसान, आढ़तिये और छोटे व्यापारी मिलकर चलाते हैं।
उन्होंने ‘हम-दो, हमारे दो के जरिए सरकार और उद्योगपतियों पर एक बार फिर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस की सोच रही है कि यह धंधा किसी एक के हाथों में न चला जाए। इसी के लिए पार्टी लड़ रही है और नए कृषि कानूनों को रद्द कराकर ही मानेगी। तीनों कृषि कानूनों का लक्ष्य यही है कि 40 फीसदी लोगों का धंधा दो-तीन लोगों के हाथों में चला जाए और वही लोग इनका विपणन करेंगे।
गांधी ने कहा कि कृषि कानूनों से मंडियां खत्म होने के साथ जमाखोरी चालू होगी तथा किसान से न्याय छिन जाएगा। सरकार किसानों से बातचीत करना चाहती है तो पहले उनकी जमीन और भविष्य छीनने वाले कानूनों को रद्द करे। यह उचित नहीं होगा कि एक व्यक्ति सबका अनाज, सब्जी, फल खरीदकर जमाखोरी कर ले और छोटे व्यापारियों और किसानों को बेरोजगार कर दे।
उन्होंने कहा कि इसमें बड़े उद्योगपतियों के सामने किसानों को जाना होगा तथा सही दाम नहीं मिलने पर उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। किसान इस बारे में सब कुछ समझ गए हैं तथा दमन के बावजूद खड़े हैं। दो सौ से अधिक किसानों को शहीद होना पड़ा है। पीएम मोदी का नाम लेते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पहले उन्होंने नोटबंदी के जरिए अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ी तथा कोरोना काल में मजदूरों को घर जाने के लिए बस, रेल का टिकट भी नहीं लेने दिया। इस सबके बावजूद मोदी ने बड़े व्यापारियों का एक लाख 50 हजार करोड़ रुपए का कर्जा माफ कर दिया। मोदी मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया का नारा देते हैं लेकिन असल में देश में बेरोजगारी फैल रही है।
चीन की चर्चा करते हुए गांधी ने दावा किया कि फिंगर थ्री और फोर की जमीन चीन को दे दी गई क्योंकि भारत सरकार चीन के सामने खड़े नहीं हो सकती।