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कोरोना ने बढ़ाई राजस्थान के किसानों की कमाई, आंवले के दाम 3 गुना से ज्यादा

धरम सैनी

जयपुर। कोरोना ने राजस्थान के किसानों की कमाई बढ़ा दी है। बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से आंवला खरीदने के लिए उनके दर पर पहुंच रही है और अच्छे दामों में आंवले खरीद रही है। गत वर्ष के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा दामों में आंवले की बिक्री हो रही है। एक महीने बाद आंवले के भाव ज्यादा तेज हो जाएंगे। किसान अच्छे दाम मिलने पर अधपके आंवलों को ही तोड़कर कंपनियों के पास पहुंचा रहे हैं।

वैश्विक महामारी कोरोना का अभी तक कोई इलाज सामने नहीं आया है। लोगों को चिकित्सकों की ओर से सलाह दी जा रही है कि कोरोना से बचाव के लिए वह अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करें। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश को सबसे ज्यादा कारगर माना। इसलिए च्यवनप्राश की बिक्री काफी बढ़ गई है। आंवले का स्टॉक नहीं होने और सर्दियों में च्यवनप्राश की मांग में भारी तेजी को देखते हुए औषधि निर्माता कंपनियों की ओर से आंवले की खरीद शुरू कर दी गई है।

उछल गए आंवले के भाव

कंपनियों की ओर से खरीद शुरू किए जाने के कारण आंवले के भावों में इजाफा हुआ है। जयपुर फल व सब्जी थोक विक्रेता संघ, मुहाना टर्मिनल मार्केट के अध्यक्ष राहुल तंवर का कहना है कि बांस से तोड़ा हुआ जो आंवला गत वर्ष राजस्थान की मंडियों में 5 से 7 रुपए प्रतिकिलो थोक भाव में बिका था, उसके भाव मंडियों में 14 से 15 रुपए प्रतिकिलो चल रहा है।

वहीं हाथ से तोड़ा हुआ अच्छी क्वालिटी का आंवला 25 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रहा है। जयपुर जिले में बड़े पैमाने पर आंवले का उत्पादन होता है। जयपुर के पास में चौमूं, पावटा, शाहपुरा, अचरोल, चंदवाजी आदि इलाकों में आंवले के बड़े बागीचे हैं। इसके अलावा सवाईमाधोपुर जिले में भी अच्छी क्वालिटी के आंवलों का उत्पादन होता है।

किसानों के पास पहुंची कंपनियां

चौमूं में सामोद रोड स्थित किसान बाबूलाल सैनी का कहना है कि इस वर्ष किसानों को आंवला मंडी पहुंचाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। पतंजली, डाबर जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि खुद किसानों के पास पहुंच रहे हैं और अच्छी कीमतों पर आंवले की खरीद कर रहे हैं। गत वर्ष किसानों ने 5 रुपए प्रतिकिलो में आंवलों की बिक्री की थी, लेकिन वर्तमान में यह कंपनियां किसानों को 15 रुपए किलो तक के भाव दे रही है।

कंपनियों की ओर से चौमूं-चंदवाजी रोड पर बांसा खारड़ा में डेरा जमाया है। किसान यहां अपने आंवले लेकर पहुंच रहे हैं और कंपनियों को बेच रहे हैं। प्रतिदिन यहां से 15 से 20 ट्रक आंवला तो पतंजली जा रहा है। च्यवनप्राश बनाने वाली अन्य कंपनियां भी खरीद कर रही है, लेकिन भाव बढ़ने के कारण आंवले का तेल बनाने वाली कंपनियां इस बार अभी तक खरीद के लिए नहीं आई है।

भाव अभी और बढ़ेंगे

सैनी ने बताया कि अभी अधपके आंवले बाजार में आ रहे हैं। आंवले का सीजन शुरू होने में अभी एक महीने का समय बचा है, लेकिन स्टॉक नहीं होने के कारण च्यवनप्राश कंपनियां समय से पहले खरीद के लिए आ गई है, इसलिए वह किसान जिन्होंने हल्के क्वालिटी के आंवले लगा रखे हैं, वह अपने अधपके आंवले बांस से तोड़कर कंपनियों को बेच रहे हैं।

बीस दिन से एक महीने बाद अच्छी क्वालिटी के और बड़ी साइज के हाथ से तोड़े हुए आंवले आएंगे तो वह 40 से 45 रुपए प्रतिकिलो तक बिक जाएंगे, क्योंकि इन आंवलों में गूदा ज्यादा होता है और च्यवनप्राश, मुरब्बा बनाने के लिए ऐसे ही आंवलों की जरूरत पड़ती है। किसान आश्वस्त हैं कि कोरोना के कारण सीजन के अंतिम समय तक औषधियां बनाने वाली कंपनियां आंवलों की खरीद करेंगी, इसलिए अधिकांश किसान अभी आंवले का सीजन पीक पर आने का इंतजार कर रहे हैं।

इसलिए खत्म हो गया स्टॉक

हर वर्ष आयुर्वेदिक औषधियां बनाने वाली प्रमुख कंपनियों और औषधालयों की ओर से एक निश्चित मात्रा में च्यवनप्राश बनाया जाता था। गत वर्ष भी उसी अनुपात में देशभर में च्यवनप्राश का निर्माण किया गया, जिसमें से आधे से ज्यादा की खपत गत वर्ष सर्दियों में ही हो गई। शेष बचा स्टॉक लॉकडाउन लगने के बाद मार्च से सितंबर तक बिक गया। जानकारी के अनुसार अक्टूबर तक देश की नामी आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कंपनियों के पास च्यवनप्राश का स्टॉक ना के बराबर रह गया।

वहीं अक्टूबर में देश के कुछ हिस्सों में कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के कारण च्यवनप्राश की मांग एकाएक बढ़ गई। ऐसे में च्यवनप्राश निर्माता कंपनियों को समय से पहले आंवलों की खरीद के लिए उतरना पड़ा है, ताकि समय रहते च्यवनप्राश का निर्माण किया जा सके और मांग को पूरी की जा सके।

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