अदालतदिल्ली

यूट्यूबर ध्रुव राठी के बिना सबूतों के वीडियो को रीट्वीट किया था..अब अदालत के कहने पर माफी मांगनी पड़ गयी दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल को..

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भाजपा आईटी सेल से संबंधित मानहानि के मामले में माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने अपनी गलती मान ली है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने अदालत से कहा कि उन्होंने अपमानजनक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी। न्यायालय ने कहा था कि अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना धारा 499 के तहत अपराध है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भाजपा आईटी सेल को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने इस मामले में अपनी गलती मान ली है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने अदालत से कहा कि उन्होंने अपमानजनक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी।
भाजपा नेता ने इस संबंध में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। अदालत ने मामले को 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने मानहानि का मुकदमा रद्द करने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, इसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। केजरीवाल ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हालांकि उन्हें यहां भी अभी तक राहत नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि का दावा करने वाले व्यक्ति से पूछा है कि क्या वह मामला वापस लेना चाहता है क्योंकि केजरीवाल ने माफी मांग ली है। शिकायतकर्ता को जवाब देने के लिए 11 मार्च तक का समय दिया गया है। उसके बाद अगली सुनवाई होगी।
क्या था मामला?
मामला 2018 का है। पॉपुलर यूट्यूबर ध्रुव राठी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। कहा जाता है कि इसमें भाजपा सरकार के खिलाफ कुछ चीजें दिखाई गई हैं। इस पोस्ट को केजरीवाल ने रीट्वीट किया था। ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम से सोशल मीडिया पेज चलाने वाले विकास सांकृत्यायन ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
केजरीवाल ने सबूतों की पुष्टि किए बिना उन्हें अपमानजनक जानकारी देने वाले एक वीडियो को रीट्वीट किया था। विकास सांकृत्यायन ने कहा था कि इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में केजरीवाल को तलब किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना धारा 499 के तहत अपराध है।

Related posts

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में राजनीतिक दलों की सक्रिय भागेदारी चिंता का विषयः आदीश सी अग्रवाल

Clearnews

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए मनोनीत, प्रधानमंत्री मोदी स्वयं ट्वीट करके दी जानकारी

Clearnews

लंबित मामलों पर टिप्पणी कोर्ट की अवमानना संबंधी अटार्नी जनरल के कथन पर छिड़ी बहस

admin