बीते कुछ दिनों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे देश के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट, शिक्षाविद्, लेखक और लोकप्रिय सामाजसेवी डॉ. अशोक पानगड़िया (70) का शुक्रवार, 11 जून को निधन हो गया। वे कोरोना से पीड़ित थे और जयपुर के ईटरनल हार्टकेयर हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक उनके परिवार वालों के कहने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। स्वयं डॉ. पानगड़िया की भी यही इच्छा थी कि उनका अंतिम समय पर उनके परिवार के साथ बीते। यही वजह रही कि उन्होंने अपने घर पर ही अंतिम सांस ली। डॉ. पानगड़िया के निधन के समाचार से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी है।
उल्लेखनीय है कि डॉ.अशोक पानगड़िया करीब एक माह पहले कोरोना से पीड़ित हुए थे और 25 अप्रेल को राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) अस्पताल में चले इलाज के बाद वे कोरोना नेगेटिव भी हो गये थे। लंबे समय तक कोविड से ग्रस्त रहने के कारण उनके अन्य अंगो पर प्रभाव पड़ा। इन्हीं दिक्कतों के कारण वे ईटरनल हार्टकेयर अस्पताल में भर्ती हुए जहां फेफड़ों व किडनी में संक्रमण का उनका इलाज चल रहा था। वे कुछ समय से वेंटिलेटर पर थे।
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चिकित्सा जगत का उच्चतम डॉ.बीसी रॉय सम्मान प्राप्त
राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, जयपुर के वाइस चांसलर रहे डॉ. पानगड़िया चिकित्सा जगत का जाना-माना नाम था। वे राजस्थान सरकार के प्लानिंग बोर्ड के सदस्य रहे। उन्हें उनके चिकित्सा व शोध कार्य के लिए चिकित्सा जगत के उच्चतम डॉ.बीसी रॉय सम्मान के अलावा वर्ष 2014 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया था।
डॉ. पानगड़िया जो जयपुर में 22 अगस्त 1950 को जन्मे और 1967 से लगातार चिकित्सा कार्य कर रहे थे। वे राजस्थान में सबसे पहले डीएम-न्यूरोलॉजी की डिग्री प्राप्त करने वाले चिकित्सक थे। यह उन्हीं के प्रयासों का प्रतिफल था कि राजस्थान का सबसे बड़ा जयपुर स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल व मेडिकल कॉलेज 1998-99 से डीएम-न्यूरोलॉजी की डिग्री देने वाला कॉलेज बन गया था।
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अच्छे शिक्षक और समाजसेवी
डॉ. अशोक पानगड़िया अच्छे शिक्षक होने के साथ समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते थे। वे अपने मरीजों को और उनके परिजन को शराब, सिगरेट और अन्य किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने का परामर्श देते थे। इसके अलावा मरीज के नाम पर एक पौधा रोंपने और उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी उठाने को संकल्प दिलाया करते थे। डॉ.पानगड़िया चिकित्सा के पेशे को एक पवित्र कार्य मानते थे और इसे मानवता के प्रति जिम्मेदारी के तौर पर निभाया करते थे।
इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के अध्यक्ष रहे
डॉ. पानगड़िया भारत में न्यूलॉजिस्ट चिकित्सकों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के अध्यक्ष रहे। इससे पहले वे इस संस्था में 6 वर्षों तक एक्जीक्यूटिव के तौर पर अपनी सेवाएं दी। अमरीका के मियामी से प्रकाशित होने वाली ‘ईयर बुक ऑफ न्यूरोलॉजी एंड न्यूरोसर्जरी’ पत्रिका के वे एकमात्र भारतीय संपादक भी रहे। उनके देश और विदेश के जर्नल्स में 100 से अधिक पेपर प्रकाशित हुए थे।