भाजपा को तीन साल तक करनी पड़ेगी पार्षदों की चौकीदारी
जयपुर। दो वर्ष पूर्व कांग्रेस ने नगर निगम में भाजपा का बोर्ड गिरा दिया था। भाजपा अब इसका बदला नगर निगम हैरिटेज में लेने की सोच रही है, लेकिन यह बदला कहीं भाजपा को ही भारी नहीं पड़ जाए, क्योंकि दूसरी ओर भी भाजपा की चुनौतियों से निपटने की रणनीति बन चुकी है।
राजनीति के खेल निराले हैं, जहां शह और मात का खेल निरंतर चलता रहता है। कांग्रेस ने भाजपा का बोर्ड गिराया था। अब नगर निगम हैरिटेज में ऐसे समीकरण फंसे हैं कि कभी भी एक दूसरी पार्टी में पार्षदों की तोड़-फोड़ का खेल खेला जा सकता है।
भाजपा के हैरिटेज में 42 पार्षद हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से अभी से ही कांग्रेसी पार्षदों में तोड़-फोड़ की रणनीति बनाई गई है, ताकि बोर्ड गिराने का बदला लिया जा सके। भाजपा हैरिटेज में बोर्ड बनाने का दावा कर रही है। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेसी पार्षदों के लिए उनके द्वार खुले हुए हैं। जो इस संभावना को बल दे रहा है कि तोड़-फोड़ की तैयारियां चल रही है।
इसके विपरीत कांग्रेस भी तोड़-फोड़ की आशंका के चलते सजग है, क्योंकि यदि उनका बोर्ड बनता है तो वह निर्दलियों के बलबूते पर बनेगा, जिसे मजबूत नहीं कहा जा सकता है। सूत्र कह रहे है कि कांग्रेस की ओर से भी बोर्ड को सुरक्षित करने की पूरी रणनीति तैयार की जा चुकी है। कांग्रेस को आशंका है कि जब भाजपा प्रदेश सरकार को अस्थिर कर सकती है तो फिर निगम बोर्ड को अस्थिर करने में उसे देर नहीं लगेगी। इसलिए कांग्रेस भाजपा के कुछ पार्षदों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में है।
अंदरखाने कहा जा रहा है कि दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे के पार्षदों को साधने का काम शुरू कर दिया है। यह खेल कभी भी शुरू हो सकता है और आसानी से पूरा हो भी जाएगा। सारा खेल 12 से 15 पार्षदों पर टिका है। यदि कांग्रेस भाजपा के पार्षदों को तोड़ लेती है, तो उनका बोर्ड काफी मजबूत हो जाएगा, वहीं भाजपा ने कांग्रेस के पार्षद तोड़ लिए तो भाजपा का बदला पूरा हो जाएगा और जयपुर के दोनों निगमों में भाजपा के बोर्ड हो जाएंगे। यही कारण है कि दोनों पार्टियों ने चुनाव परिणाम आने के बाद अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर दी है।
जानकारों का कहना है कि हैरिटेज नगर निगम में जो माहौल चल रहा है, उसमें भाजपा को ही ज्यादा सतर्क रहना होगा। सिर्फ बाड़ेबंदी से काम नहीं चलेगा। यदि भाजपा ने अभी अपने पार्षदों में बिखराव नहीं होने दिया तो आगे के तीन साल जब भी मौका मिलेगा, कांग्रेस भाजपा पार्षदों को तोड़ने की कोशिश करेगी, ऐसे में भाजपा को पूरे तीन साल तक अपने पार्षदों की चौकीदारी करनी होगी।