क्राइमजयपुर

डोर-टू-डोर (Door-to-door ) सफाई कंपनी (cleaning company) बीवीजी का सहायक प्रबंधक (BVG’s assistant manager) 75 हजार रुपए की रिश्वत (bribe) लेते गिरफ्तार (arrested)

भ्रष्टाचार के दम पर पिछले चार सालों से जयपुर में डोर-टू-डोर (Door-to-door ) सफाई कार्य कर रही कंपनी (cleaning company) बीवीजी का सहायक प्रबंधक (BVG’s assistant manager) एसीबी के हत्थे चढ़ा है। एसीबी ने सहायक प्रबंधक राहुल बोडके को परिवादी से 75 हजार रुपए की रिश्वत (bribe) लेते रंगे हाथों गिरफ्तार(arrested) किया है।

एसीबी महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी की जयपुर शहर प्रथम इकाई को परिवादी द्वारा शिकायत की गई थी कि उसके द्वारा नगर निगम जयपुर के कचरा डिपो से रीसाइकलिंग के लिए एकत्रित कचरे से कांच, प्लास्टिक आदि एकत्रित किया जाता है। इस कचरे से काम की चीजें एकत्रित करने और नगर निगम अधिकारियों की ओर से कोई बाधा उत्पन्न नहीं होने देने की एवज में बीवीजी का अधिकारी राहुल 1 लाख रुपए की रिश्वत की मांग कर रहा है।

शिकायत के बाद जयपुर शहर प्रथम इकाई की ओर से शिकायत का सत्यापन कराया गया। सत्यापन के दौरान राहुल द्वारा 25 हजार रुपए की रिश्वत प्राप्त की गई। मंगलवार को इकाई की ओर से ट्रेप की कार्रवाई आयोजित कर राहुल को 75 हजार रुपए की रिश्वत प्राप्त करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी के निवास व अन्य ठिकानों की एसीबी की ओर से जांच की जा रही है।

कचरे से कूट रहे चांदी
जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज ने बीवीजी कंपनी को घर-घर से कचरा एकत्रित कर उसे डिपो पहुंचाने का काम दिया गया था, लेकिन कंपनी ने जब से काम शुरू किया है, तभी से कचरे से धातू, प्लास्टिक, गत्ता, लकड़ी, कांच व अन्य काम का कचरा निकाल कर बेकार का कचरा डंपिग यार्ड तक भेजा जाता है। बीवीजी के शहर में बने कई डिपो पर दिनभर हूपर कचरा लाकर डालते हैं। इसके बाद डिपो पर ही कचरे की छंटाई होती है और बेकार कचरे को डम्परों में भरकर डंपिंग यार्ड भिजवा दिया जाता है। यह नजारा शहर में आम है। कचरे से काम की चीजें निकालने के इस खेल में बीवीजी के साथ-साथ निगम के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल है, जबकि कचरे से निकलने वाली रिसाइकल की जाने वाली चीजों पर निगम का हक है, जो उसे नहीं मिल पा रहा है और निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हो रही है। निगम के जनप्रतिनिधि हों या वरिष्ठ अधिकारी, सभी को इस खेल का पता है, इसके बावजूद वह मौन हैं। इसका साफ अर्थ है कि कचरे के खेल में नीचे से ऊपर तक सभी मिले हुए हैं।

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