जयपुर। राजस्थान बड़ी तेजी से लव जिहाद का केन्द्र बनता जा रहा है। प्रदेश में पिछले चार साल में 153 घटनाएं ऐसी हुई हैं जिनके पीछे लव जेहाद के द्वारा धर्मान्तरण का एजेंडा सामने आया है। राज्य का शायद ही कोई जिला अछूता हो जहां इस तरह की घटना सामने न आई हो। ऐसे में प्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की मांग उठने लगी है।
प्रदेश में भी भाजपा की ओर से कई बार इस कानून के निर्माण की मांग उठाई जा चुकी है। वहीं अब महिलाएं भी इसके लिए आवाज उठाने लगी है, क्योंकि लव जिहाद के मामलों में सबसे ज्यादा प्रताड़ना महिलाओं को ही झेलनी पड़ती है। लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की मांग को लेकर गुरुवार को जयपुर में शासन सचिवालय के सामने सेंट्रल पार्क में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार से लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की मांग की।
महिला संगठनों का कहना था कि राज्य की राजधानी जयपुर में अब तक 20, अजमेर में 23, टोंक जैसे छोटे जिले में 13 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों से मतांतरण के लिए चर्चा में रहने वाले मेवात क्षेत्र में भी लव जिहाद के 15 मामले सामने आ चुके हैं। समस्या इतनी गंभीर होती जा रही है उस पर प्रशासन संवेदनशीलता से कार्रवाई नहीं करता, जिसके चलते लव जिहाद की पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
लव जेहाद एक सोची-समझी साजिश है। इस कार्य के तहत वर्ग विशेष के युवक, छद्म नाम रखकर व्यक्तिगत रूप से या सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य धर्मों की युवतियों को दोस्ती गांठकर अपने प्रेम जाल में फंसाते हैं। इसके बाद उनसे जबरन शादी करके उन पर मतान्तरण के लिए दबाव बनाते हैं। जनजाति बहुल जिलों में भी ये मामले निरंतर बढ रहे हैं। अत: महिला संगठन यह मांग करते हैं कि सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
मानवाधिकार दिवस पर सरकार से यह अपील की जाती है कि लव जेहाद से प्रभावित पीड़िताओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए सरकार आगे आए। जिस तरह लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश में कानून बनाया जा चुका हैं। मध्यप्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में इसके खिलाफ कानून बनाने की प्रक्रिया जारी हैं, उसी तरह राजस्थान में भी सरकार पीड़ित परिवार, आहत समाज और उन सभी महिलाओं की सुध ले, जो इस अपराध के कारण अब नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त हैं। राज्य सरकार लव जिहाद से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कड़ा कानून बनाए।
विरोध प्रदर्शन में निमिकेत्तम संस्था, पीड़ित महिला अधिकार रक्षा मंच, धर्म रक्षा समिति, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन, संवेदना फाउंडेशन व मानसरोवर युवा मंच, मां चामुंडा सेवा संस्थान समेत कई संगठनों की महिला व युवतियां शामिल हुई।