जयपुर

आवभगत पड़ी महंगी, दिल्ली-गुजरात के पर्यटक लाए कोरोना की दूसरी लहर

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच आमेर में हाथी सवारी शुरू करने पर खड़े हुए सवाल

धरम सैनी
जयपुर। पावणों की खातिरदारी के लिए मशहूर राजस्थान को पर्यटकों की आवभगत महंगी पड़ गई है। राजस्थान में एकाएक बढ़े कोरोना संक्रमण के पीछे दिल्ली और गुजरात के पर्यटकों को प्रमुख कारण माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इन राज्यों से आए पर्यटकों के कारण ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी के साथ फैलता जा रहा है।

दिल्ली में करीब एक महीने पूर्व ही कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी थी। इस दौरान दिल्ली में प्रदूषण भी काफी रहा। दिल्ली के लोगों का पिछले एक दशक का ट्रेंड है कि दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण बढ़ता है, वहां के लोग बड़ी संख्या में राजस्थान में घूमने चले आते हैं, ताकि कुछ दिनों के लिए उन्हें प्रदूषण से निजात मिल सके। इस बार भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ते ही दिल्ली के लोग राजस्थान में आने लगे। दिल्ली के पर्यटकों के आने के साथ ही जयपुर में भी पर्यटकों का ग्राफ एकाएक बढ़ा, जिसे पर्यटन क्षेत्र के लोग खुशखबरी मान रहे थे, लेकिन यह खुशखबरी नहीं निकली बल्कि दिल्ली के लोग कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर राजस्थान लेकर आए।

गुजरात के पर्यटकों का भी दो दशकों का ट्रेंड है कि वह दीपावली के समय पर्यटन पर निकलते हैं। इस वर्ष भी गुजराती पर्यटक दीपावली पर राजस्थान में घूमने के लिए आए। गुजरात में राजस्थान से ज्यादा कोरोना संक्रमण है और यहां के कोरोना को काफी खतरनाक भी माना जा रहा है, क्योंकि गुजरात में कोरोना से काफी मौतें हुई है। ऐसे में गुजराती पर्यटकों को भी राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर लाने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

पुरातत्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी चपेट में

जानकारी के अनुसार पुरातत्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी सबसे पहले दिल्ली और गुजरात के पर्यटकों के संपर्क में आए और कोरोना ने पुरातत्व विभाग को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। लॉकडाउन खुलने के बाद से दीपावली तक बमुश्किल विभाग के एक-दो कर्मचारी कोरोना की चपेट में आए थे, लेकिन दीपावली के बाद तो विभाग में कोरोना संक्रमित होने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की बाढ़ आ गई है।

विभाग के बीकानेर अधीक्षक की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। मुख्यालय में इंजीनियरिंग विंग पूरी तरह से कोरोना की चपेट में है। अल्बर्ट हॉल के दो-तीन कर्मचारियों को संक्रमण बताया जा रहा है। जंतर-मंतर के एक बाबू क्वारंटाइन हैं। आमेर महल के भी एक बाबू पॉजिटिव आए हैं। जयपुर वृत्त अधीक्षक और उनके कर्मचारी कोरोना की चपेट में है। अजमेर अधीक्षक क्वारंटाइन चल रहे हैं। यदि सरकार विभाग में कोरोना टेस्ट कराए तो बड़ी मात्रा में के अधिकारी-कर्मचारी पॉजिटिव मिल जाएंगे।

विभाग ने शुरू कर दी हाथी सवारी

संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को प्रदेश में आने वाले पर्यटकों पर पाबंदी शुरू करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने आमेर विधायक और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के दबाव में आकर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आमेर में हाथी सवारी शुरू करने की इजाजत दे दी है। एक दिन पूर्व ही पूनिया ने हाथी सवारी शुरू करने की मांग की थी और अगले दिन ही पुरातत्व निदेशक ने आदेश जारी कर दिए। ऐसे हाथी सवारी शुरू करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे पहले यह कि निदेशक का आदेश जल्दबाजी में निकाला हुआ और गलत है। इसमें केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कोरोना गाइडलाइन के संबंध में स्पष्टीकरण का अभाव है।

नहीं मिलेगा ज्यादा फायदा

पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार हाथी सवारी ज्यादातर विदेशी पर्यटक ही करते हैं, जो इस समय नहीं आ रहे हैं। ऐसे में हाथी सवारी का आदेश निकालना बेमानी है। देशी पर्यटक महंगे दर पर हाथी सवारी मुश्किल ही करेंगे।

दो सवारी बैठी तो नहीं होगी सोश्यल डिस्टेंसिंग

कोरोना गाइडइलाइन में सोश्यल डिस्टेंसिंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। हाथी सवारी में एक हाथी पर दो लोगों को बिठाया जाता है, लेकिन आदेश में इसका उल्लेख नहीं है कि हाथी पर अब कितने लोगों को बिठाया जाएगा। यदि दो ही लोग हाथी पर एक होदे में बैठेंगे तो सोश्यल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाएगी। यदि एक सवारी बैठती है तो वह उसकी जेब पर भारी पड़ेगा, क्योंकि एक होदे की दो लोगों के बैठने की रेट 2200 रुपए होती है। अब यदि शोश्यल डिस्टेंसिंग के कारण एक सवारी एक हाथी पर बिठाई जाएगी, तो पर्यटक को तो होदे की पूरी रेट 2200 रुपए ही चुकाने होंगे।

हाथियों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर

होदों को हर फेरे के बाद सेनेटाइज किया जाएगा, लेकिन सेनेटाइजेशन में केमिकल का उपयोग होने से हाथियों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना है। जयपुर में मौजूद हाथियों में से अधिकांश हाथी ज्यादा काम करने और उपयुक्त भोजन नहीं मिलने से विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं। वन्य जीवों पर होने वाले अत्याचारों पर काम करने वाली संस्थाओं ने हाल ही मे आरोप भी लगाया था कि कोरोना काल में जयपुर में चार हाथियों की मौत बीमारियों की वजह से हो गई थी। ऐसे में यदि हाथी कमिकल के उपयोग से बीमार होते हैं, तो इन संस्थाओं को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल जाएगा।

बाजारों में भी फैलाया कोरोना

जानकारों का कहना है कि दिल्ली और गुजरात से दीपावली पर आए पर्यटकों ने न सिर्फ पर्यटन स्थलों पर कोरोना फैलाया, बल्कि वह पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के तेजी से विस्तार का कारण बने। पर्यटक सिर्फ पर्यटन स्थलों पर ही नहीं घूमता, बल्कि वह बाजारों में भी खरीदारी करता है, होटलों में रुकता है। ऐसे में बाजार और होटलों में भी कोरोना फैल सकता है। सरकार को प्रदेश की जनता की भलाई के लिए चाहिए कि जब तक फिर से कोरोन संक्रमण काबू में नहीं आता है, तबतक पर्यटन गतिविधियों को स्थगित करे। प्रदेश की सीमाओं को पहले की तरह से सील किया जाए, ताकि ज्यादा संक्रमित प्रदेशों से लोग पर्यटन या शादियों में शामिल होने के लिए प्रदेश में नहीं आ सके।

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