जयपुर। नगर निगम ग्रेटर के चुनाव रविवार को संपन्न हो जाएंगे। निगम चुनावों के साथ ही निगम के कर्मचारी यूनियनों में भी सरगर्मियां तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि यूनियनों को लेकर कर्मचारी नेताओं में जमकर राजनीति हो सकती है, क्योंकि कुछ कर्मचारी नेता तो चाहते हैं कि दो नगर निगम बनने के बाद कर्मचारी यूनियन भी दो बनें, जबकि कुछ नेता चाहते हैं कि दोनों निगमों में कर्मचारी यूनियन एक ही रहे।
निकाय चुनावों से पहले ही नगर निगम कर्मचारी यूनियन में हलचल शुरू हो गई थी। कहा जा रहा है कि सितंबर से ही कर्मचारी नेताओं ने यूनियन को दो हिस्सो में विभक्त करने की बातें उठानी शुरू कर दी है। वहीं कुछ नेता इन कोशिशों में लगे हैं कि यूनियन का विभाजन नहीं हो। उन्हें भय है कि यदि यूनियन दो हिस्सों में बंट गई तो उनका प्रभाव भी कम हो जाएगा। यूनियन एक रही तो वह दो निगमों पर अपना प्रभाव डाल पाएंगे।
इन नेताओं का तर्क है कि जब नगर निगम ही अलग-अलग हो गए हैं तो यूनियन भी दो हिस्सों में बंटनी चाहिए। जब संस्था ही अलग-अलग हो गई है तो फिर यूनियन अलग करने में क्या परेशानी है। दो यूनियन होगी तो ज्यादा कर्मचारी नेताओं को यूनियन की राजनीति में आने का अवसर मिलेगा और वह भी कर्मचारियों की आवाज उठाने में कामयाब हो पाएंगे। जबकि दूसरा पक्ष कर्मचारी एकता की बात कहकर यूनियन को एक रखने के पक्ष में है। उनका कहना है कि शहर तो एक ही है, फिर दो यूनियन क्यों? एक यूनियन होगी तो कर्मचारी संगठित होंगे और अपनी मांगों को दमदार तरीके से उठा पाएंगे।
कर्मचारी यूनियनों को बांटने के सवाल पर वर्तमान अध्यक्ष कोमल यादव का कहना है कि यूनियन को विभक्त करने का फैसला कर्मचारियों पर निर्भर रहेगा। कर्मचारी अभी इस संबंध में चर्चा कर रहे हैं कि यूनियन को विभक्त किया जाए या नहीं। कर्मचारी यदि यूनियन को विभक्त करने का मानस बना लेते हैं तो यूनियन विभक्त हो जाएगी, नहीं तो एक ही यूनियन रहेगी।
उधर सफाई कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि उनकी यूनियन को विभक्त करने का फैसला कर्मचारी ट्रेड यूनियन के फैसले पर निर्भर करेगा। यदि ट्रेड यूनियन विभक्त होती है तो उनकी यूनियन भी विभक्त हो जाएगी। अगर ट्रेड यूनियन एक रहती है तो उनकी यूनियन भी एक ही रहेगी।