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दलित से जूते चटवाने और पेशाब करने का मामला निकला झूठा… पुलिस का दावा, रिटायर्ड आईपीएस ने लिखी थी फर्जी स्क्रिप्ट

राजस्थान पुलिस ने दलित से जूते चटवाने और पेशाब करने, अपहरण कर पीटने जैसे आरोपों का झूठा बताया है। पुलिस के अनुसार, जांच में पूरा मामला फर्जी निकला। पुलिस के अनुसार, रिटायर्ड आईपीएस नवदीप सिंह ने फर्जी स्क्रिप्ट लिखी थी।
राजधानी जयपुर के जमवारामगढ़ थाने में हाल ही में एक दलित व्यक्ति ने डिप्टी एसपी और स्थानीय विधायक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। परिवादी का आरोप था कि डिप्टी एसपी ने अपहरण करके मारपीट की और उसके मुंह पर पेशाब किया। पीड़ित ने स्थानीय विधायक गोपाल मीणा पर भी जूते चटवाने का आरोप लगाया था। इस मामले को पुलिस मुख्यालय ने प्रारम्भिक जांच में झूठा माना है। पुलिस मुख्यालय की ओर स्पष्ट किया गया है कि इस मुकदमे के पीछे रिटायर्ड आईपीएस नवदीप सिंह का रचा हुआ षड़यंत्र है।
जमीन पर कब्जा करने की कोशिश
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी प्रेसनोट में बताया गया है कि जमवारामगढ़ इलाके के टोडालडी गांव की एक जमीन पर नवदीप सिंह कई वर्षों से नजर है। उस जमीन पर रहने वाले आदिवासियों और दलित समुदाय के लोगों को हटाकर कब्जा करना चाहते हैं। पिछले दिनों दूसरे इलाके के पटवारी को बुलाकर जमीन की पैमाइस करवा ली थी। इस पर जिला कलक्टर ने पटवारी को निलंबित कर दिया था। उन दिनों स्थानीय लोगों ने रिटायर्ड आईपीएस नवदीप सिंह के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। नवदिप सिंह ने जांच अधिकारी शिवकुमार भारद्वाज पर दबाव बनाया कि उनके खिलाफ दर्ज मामले में वे एफआर लगा दें। डिप्टी एसपी शिवकुमार सिंह ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था। इसी के चलते नवदीप सिंह द्वारा अपने परिचित दलित के जरिए झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया।
दिल्ली जाकर प्रेस कांफ्रेंस करने पर भी उठे सवाल
पुलिस मुख्यालय का तर्क है कि अगर पीड़ित व्यक्ति का अपहरण हुआ हो और उसके साथ मारपीट करने, पेशाब करने जैसी कोई घटना हुई होती तो तुरंत पुलिस थाने जाना चाहिए। अगर थाने में सुनवाई नहीं हुई तो एसपी ऑफिस या पुलिस मुख्यालय आ सकता था। इस्तगासे के जरिए जमवारामगढ में मुकदमा दर्ज कराने के बाद पीड़ित ने दिल्ली जाकर प्रेस कांफ्रेंस की। वहां मीडिया के सामने पुलिस अधिकारी और कांग्रेस विधायक पर गंभीर आरोप लगाये ताकि मामला मीडिया की सुर्खियों में आ जाए। पुलिस मुख्यालय की ओर से यह भी बताया गया कि रिटायर्ड आईपीएस नवदीप सिंह की छवि और आचरण से स्थानीय मीडिया भली भांति परिचित है। इसीलिए जयपुर के बजाय दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की गई।
पुलिस मुख्यालय ने गिनाए नवदीप सिंह के कारनामे
पुलिस मुख्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया कि नवदीप सिंह का आचरण भारतीय पुलिस सेवा में रहने के दौरान भी ठीक नहीं था। उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। एक बार राजकीय यात्रा के दौरान वाहन चालक से मारपीट करने पर एससीध्एसटी एक्ट के तहत मुकदमा हुआ था। जयपुर के आर्मी एरिया में सेना के एक जवान को थप्पड़ मार दिया गया था, जिसका मुकदमा भी बनीपार्क थाने दर्ज है। बीकानेर में एसपी और भरतपुर डीआईजी का इनका कार्यकाल अत्यंत विवादास्पद रहा था।
ये मुकदमें दर्ज हैं नवदीप सिंह के खिलाफ
राजस्थान पुलिस में पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत हुए नवदीप सिंह के खिलाफ जमवारामगढ थाने में धारा 143, 447, 506 प्च्ब् और 3 एससीध्एसटी एक्ट के तहत अभियोग संख्या 160ध्2023 दर्ज है। समोद थाने में धारा 147, 148, 149, 427, 454 प्च्ब् के तहत अभियोग संख्या 06ध्2022 दर्ज है। जयपुर के वैशाली नगर थाने में धारा 352, 452, 384 भा।द।स। के तहत अभियोग संख्या 167ध्2022 दर्ज है। गतवर्ष वैशाली नगर पुलिस द्वारा शांतिभंग के आरोप में उन्हें गिरफ्तार करके हवालात में बंद किया गया था। हनुमानगढ पुलिस थाने में धारा 279, 304ए के तहत अभियोग संख्या 531/2012 भी दर्ज है।

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