दिल्ली सीमा पर चले रहे किसान आंदोलन ने राजनीतिक रूप ले लिया है। ग्यारह दिनों से चल रहे इस आंदोलन को विपक्षी राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है। वे 8 दिसंबर को भारत बंद में किसानों का साथ दे रहे हैं। कई बैंक यूनियनों ने भी नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे इन किसानों के समर्थन में सरकार से इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का आग्रह किया है। इसके अलावा कलाकारों और खिलाड़ियों विशेषतौर पर गायक दिलजीत दुसांझ और दक्षिण दिल्ली से चुनाव लड़ चुके पेशेवर बॉक्सर विजेंदर सिंह भी खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं और किसानों को अपना समर्थन दे रहे हैं।
विपक्ष का समर्थन
कांग्रेस ने 8 दिसंबर को होने वाले किसानों के भारत बंद के समर्थन की बात कही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ता आंदोलन के समर्थन में अपने पार्टी कार्यालय में प्रदर्शन करेंगे। इससे राहुल गांधी के किसानों के प्रति समर्थन को मजबूती मिलेगी। उधर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष के.चंद्रशेखर राव ने भी भारत बंद को समर्थन देने की बात कही है। तृण मूल कांग्रेस से सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने भी कहा है कि उनकी पार्टी मजबूती के साथ किसानों के साथ है और भारत बंद में उनका समर्थन रहेगा।
विभिन्न बैंक यूनियनों का समर्थन
ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) की ओर से कहा गया है कि सरकार को देश और किसानों के हित में उनकी मांगों का समाधान करना चाहिए। इसके अलावा ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस ने भी सरकार से आग्रह किया है कि वह इन विधेयकों को राष्ट्रपति के विशेष आदेश के जरिये प्रवर समिति को भेजकर गतिरोध दूर करे।
गायक दिलजीत और बॉक्सर विजेंदर का समर्थन
खबर है कि पंजाबी पॉप गायक दिलजीत दोसांझ ने आंदोलन का समर्थन करते किसानों को एक करोड़ रुपए की मदद की है। पंजाबी पॉप गायक सिंगा ने कहा है कि दिलजीत ने यह रुपया किसानों को गर्म कपड़े खरीदने के लिए दिया है। इसके अलावा ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर पहुंचे और उन्होंने वहां उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि यदि सरकार कृषि संबंधी अपने काले कानूनों वापस नहीं लेती, तो वे अपना राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार वापस कर देंगे। उल्लेखनीय है कि विजेंदर सिंह दक्षिण दिल्ली की लोकसभा सीट के लिए 2019 मे कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा था।
सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं
एक ओर यदि किसान कृषि कानूनों को रद्द किये जाने पर अड़े हैं और आंदोलन की राह पकड़े हैं तो दूसरी ओर सरकार की ओर से भी कहा जा रहा है कि वह नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं। इन्हें रद्द करने की उसकी कोई मंशा नहीं है अलबत्ता इसमें किसानों की मांगों के अनुरूप संशोधन किए जा सकते हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इस बारे में संकेत देते हुए कहा, उन्हें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग असकी किसान हैं।
उन्होंने कहा कि वास्तव में असली किसान तो खेतों में काम कर रहे हैं और वे इन कानूनों को लेकर चिंतित भी नहीं हैं। उन्होंने तो यह आरोप भी लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। देश के ज्यादातर किसान इन कानूनों के समर्थन में हैं।