आठ दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे किसानों ने सरकार से 3 दिसंबर को चौथे दौर की वार्ता की। दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब सात घंटों तक चली इस मेराथन वार्ता का कोई हल नहीं निकला। सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों को आश्वस्त करने का प्रयास करते रहे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करना तो दूर उसे छुआ भी नहीं जाएगा लेकिन किसानों का कहना था कि मसल केवल एमएसपी का ही नहीं है।
किसानों की ओर से कहा गया कि संसद का विशेष बुलाया जाए और कृषि संबंधी तीनों कानूनों को रद्द किया जाए। तब तक दिल्ली सीमाओं पर धरने और प्रदर्शन करते रहेंगे। अब अगले दौर की वार्ता 5 दिसंबर को होने की संभावना है।
किसानों के हक में संघर्ष का श्रेय लेने को लेकर राजनीतिक लड़ाई
किसानों के हक की लड़ाई लड़ने का श्रेय लेने को लेकर भी शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच जमकर राजनीतिक लड़ाई देखने को मिली। किसानों की समस्याओं को जल्द से जल्द हर करने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, “मैंने गृह मंत्री के साथ बैठक में अपना विरोध दोहराया और उनसे इस मुद्दे को हल करने का अनुरोध किया है क्योंकि यह मेरे राज्य की अर्थव्यवस्था और राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित करता है। उन्होंने ने मानसा और मोगा के दो किसान के परिवों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है, जिनकी कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान मृत्यु हो गई।”
उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के समर्थन में पद्म विभूषण लौटा दिया है। बादल को 2015 में ये सम्मान मिला था। बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल 22 साल से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ थी, लेकिन कृषि कानूनों के विरोध में सितंबर में गठबंधन से अलग हो गई थी। इससे पहले 17 सितंबर को हरसिमरत कौर बादल ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उधर, शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है।
एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी
उधर किसानों के साथ बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद रहे। बैठक से पहले सोम प्रकाश ने कहा था कि बातचीत से ऐसा समाधान निकलने की उम्मीद है, जो किसानों और सरकार को भी मंजूर हो। सरकार कह चुकी है कि MSP की व्यवस्था जारी रहेगी और यह बात लिखित में देने को भी राजी है। इसके बावजूज किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं और आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है।