केंद्र सरकार एक बार फिर किसानों को मनाने में नाकाम रही। किसान संगठनों ने बुधवार 9 दिसम्बर को सरकार की ओर से दिये गए कृषि कानूनों में संशोधन के लिखित प्रस्तावों को ठुकराते हुए आंदोलन जारी रखने का फैसला किया। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक नये कृषि कानून रद्द नहीं किये जाते और सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून नहीं लाती तब तक आंदोलन जारी रखा जाएगा।
किसानों ने ठुकराया सात मुद्दों पर संशोधन का लिखित प्रस्ताव
केंद्र सरकार की ओर से आज नए कृषि कानूनों के संदर्भ में सात मुद्दों पर संशोधन का लिखित आश्वासन का प्रस्ताव था। इसके अलावा सरकार ने यह भी आश्वस्त किया था कि कृषि उपज की खरीद के लिए एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार ने कहा कि वह नए कानूनों के संदर्भ में किसानों की आशंकाओं पर स्पष्टीकरण देने को तैयार है लेकिन उसकी ओर से कानूनों को रद्द करने को लेकर कोई बात नहीं की गई।
केंद्र सरकार के संकट मोचक और गृह मंत्री अमित शाह के किसानों के साथ वार्ता में आगे आने के बाद लगा कि किसानों को मना लिया जाएगा लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकार करने को तैयार नहीं है। संभवतः वह जताना चाह रही है कि वह तो वार्ता के जरिए मुद्दों को सुलझाना चाहती है लेकिन किसान विपक्षी राजनीतिक दलों के भड़कावे में आकर अड़ियल रुख अपनाए हुए है।
रिलायंस-अडाणी के उत्पादों का बहिष्कार
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल का कहा है कि अब आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसके अलावा पूरे देश में रिलायंस और अडाणी के उत्पादों के बहिष्कार होगा और आंदोलन के दौरान भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का घेराव भी किया जाएगा। इसके अलावा किसान जियो सिम को पोर्ट कराने के लिए अभियान चलाएंगे। किसान नेताओं के अनुसार 14 दिसंबर को पूरे देश में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। 12 दिसम्बर तक जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा राजमार्गों को जाम करने की तैयारी है।