जयपुर। राजस्थान में इस वर्ष भी सबसे बड़े पर्व दीपावली (Deepawali) पर लोग पटाखे चलाकर खुशियां नहीं मना पाएंगे। राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका का हवाला देकर प्रदेश भर में शुक्रवार से पटाखों (fire crackers) की बिक्री और आतिशबाजी चलाने पर रोक लगा दी है।
पटाखों के विक्रय और उपयोग को लेकर गृह विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि यह रोक 1 अक्टूबर से लेकर अगले साल 31 जनवरी तक के लिए है। 31 जनवरी तक पटाखों के अस्थाई लाइसेंस जारी करने पर भी रोक लगा दी है। गृह विभाग ने सभी कलेक्टरों को इस संबंध में आदेश दिए हैं। प्रदेश में दीपावली से पूर्व जिला स्तर पर बड़ी संख्या में आतिशबाजी विक्रय के अस्थायी लाइसेंस जारी होते हैं।
एडवाइजरी में कहा गया है कि ऐक्सपर्ट्स ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई है। कोरोना संक्रमित लोगों को आतिशबाजी के धुएं से सांस लेने में परेशानी को देखते हुए पिछले साल आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया था। आतिशबाजी के धुएं से वृद्ध, बीमार व्यक्ति, सीओपीडी, अस्थमा और कोविड रोगियों को बहुत तकलीफ होती है। इसलिए इस साल भी आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। यह लगातार दूसरा साल है, जब सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है।
व्यापारियों ने जताया विरोध, प्रतिबंध हटाने की मांग
राजस्थान में दिवाली सीजन में अनुमान के अनुसार करीब 1000 करोड़ रुपए का पटाखों का कारोबार होता है। आतिशबाजी पर रोक लगने से कारोबार को भारी नुकसान पहुंचेगा। जयपुर व्यापार महासंघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर गृह विभाग द्वारा सभी प्रकार की आतिशबाजी को बेचने व चलाने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है ।
व्यापारियों का कहना है कि आतिशबाजी कारोबार से राजस्थान के हजारों गरीब मजदूर परिवारों व व्यापारियों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है व राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा अनुमत ग्रीन पटाखों को इस संबंध में इजाजत देना आतिशबाजी से जुड़े गरीब परिवारों व इनसे जुड़े हुए व्यापारियों की रोजी रोटी के लिए जरूरी है।
गत 2 वर्षों से कोरोना के कारण आतिशबाजी से जुड़े मजदूर परिवार व व्यापारी आर्थिक परेशानी भुगत रहे हैं। अत: अन्य राज्यों की तरह नीरी द्वारा अनुमत ग्रीन पटाखों की राजस्थान में भी इजाजत देकर गरीब मजदूर परिवार व व्यापारियों को आर्थिक संकट से उबारने की अपील की है।