जयपुर

पांच दिवसीय दीपोत्सवः- दीपावली (Deepawali) महापर्व के पहले दिन (first day) आज मनाएं धनतेरस (Dhanteras)

पूजन का मुहूर्तः- चूंकि धगवान का पूजन प्रदोष काल में शुभ माना जाता है इसलिए धनतेरस यानी 2 नवम्बर 2021 को प्रदोष काल में सायं 05.41 से 08.17 तक पूजन कार्य करना श्रेष्ठ रहेगा

अरुण कुमार, एस्ट्रोलॉजर

भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व है जिसमें दीपावली (Deepawali) वह महत्वपूर्ण पर्व है असत्य पर सत्य की जीत, जीवन में अंधकार को दूर कर प्रकाश लाने और अपने पितरों को याद करने के अवसर के तौर पर मनाते हैं। कार्तिक अमावस्या को मनाया जाने वाला यह त्योहार धनतेरस (Dhanteras) से भाई दूज यानी पांच दिन तक मनाया जाता है। देश में यह त्योहार अलग-अलग भागों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है परंतु सभी के भाव में जीवन के लिए सुख, शांति और समृद्धि की  कामना ही रहती है।

पांच दिवसीय इस त्योहार की शुरुआत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से होती है इसलिए इसे धनतेरस या धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व यानी पहले दिन (first day) धनतेरस मनाई जाती है

पुरातन कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय विभिन्न दिव्य वस्तुओं के साथ आयुर्वेद ज्ञान भी मिला था। इसलिये आज धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। चिकित्सा से जुड़े लोग यह पर्व विशेष रूप से मनाते हैं। इस दिन भगवान कुबेर की पूजा की जाती है प्रातः भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है। संध्या काल में आमजन शुभ मुहूर्त में भगवान कुबेर की पूजा-अर्चना करते हैं।

इसके अलावा यह अवसर घर में नया सामान जैसे आभूषण, वस्त्र, वाहन, बर्तन, जमीन-जायदाद, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि को खरीदने के लिए शुभ माना जाता है।

ऐसे करें पूजनः- कुबेर के प्रतीक के रूप में कुबेर यंत्र (किसी भी धार्मिक सामग्री का विक्रय करने वालों की दुकान पर मिल जाएगा) को भी चौकी पर रखकर पंचोपचार कर पूजन करना चाहिए। दोपहर पश्चात बर्तन खरीदें।  संध्या समय घर के बाहर दोनों तरफ तिल्ली के तेल का दीया अनाज पर रखकर प्रज्ज्वलित करें और ध्यान रखें कि  दीपक प्रज्ज्वलन के समय मुख दक्षिण दिशा की तरफ रखें। इसके अलावा भगवान यमराज से प्रार्थना करनी चाहिए की घर में किसी की अकाल मृत्यु, गम्भीर बीमारी तथा असफलता का भय ना हों।

पूजन का मुहूर्तः- चूंकि धगवान का पूजन प्रदोष काल में शुभ माना जाता है इसलिए धनतेरस यानी 2 नवम्बर 2021 को प्रदोष काल सायं 05.41 से 08.17 तक पूजन कार्य करना श्रेष्ठ रहेगा।

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