जयपुर

वर्ल्ड हैरिटेज सिटी में विरासत से खिलवाड़ कर फंसे जयपुर नगर निगम हैरिटेज ने टाउन हॉल पर लिखे स्लोगन पर पुतवाया नारंगी रंग, महापौर, निगम, एडमा और पुरातत्व विभाग के अधिकारी जवाब देने से बच रहे

वर्ल्ड हैरिटेज सिटी में प्राचीन विरासत से खिलवाड़ करके नगर निगम हैरिटेज बुरा फंस गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए निगम की ओर से शहर में जगह-जगह वॉल पेंटिंग कराई जा रही है लेकिन निगम के नाकारा अफसरों ने विरासत का ध्यान रखे बिना संरक्षित स्मारक सवाई मान सिंह टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) पर भी स्लोगन पुतवा दिए थे। अब इन स्लोगन पर फिर से नारंगी रंग पुतवाया गया है।

क्लियरन्यूज डॉट लाइव ने मंगलवार, 23 मार्च को सबसे पहले ‘आज टाउन हॉल को पोता, कल हवामहल को करेंगे रंग-बिरंगा, नगर निगम हैरिटेज कर रही शहर की विरासत का बंटाधार, सवाई मान सिंह टाउन हॉल पर पुतवाई स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए पेंटिंग’खबर प्रकाशित कर नगर निगम की इस आपराधिक भूल को उजागर किया था। खबर प्रकाशित होने के बाद बुधवार, 24 मार्च की अल सुबह नगर निगम ने टाउन हॉल की गई स्लोगन पेंटिंग को नारंगी रंग से पुतवा दिया।

फिर बिगाड़ दिया मूल स्वरूप
नगर निगम को अपनी गलती का अहसास होते ही अधिकारियों ने अपनी गलती छिपाने के लिए स्लोगन पर रंग तो किया लेकिन मूल रंग बदल दिया। अब यहां जो रंग किया गया है, वह टाउन हॉल पर किए गए पुराने रंग से मेल नहीं खा रहा है और गुलाबी की जगह नारंगी दिखाई दे रहा है। यह भी प्राचीन स्मारक के मूल स्वरूप बिगाड़ने का ही मामला है। देखने वाली बात यह भी है कि निगम की ओर से कराया गया नारंगी रंग सफेदी से बना है या फिर कोई डिस्टेंपर या आधुनिक पेंट है क्योंकि टाउन हॉल पर पहले प्राचीन स्थापत्य के अनुरूप खमीरा ही किया जा सकता है।

पुरातत्व और एडमा भी आए लपेटे में
इस मामले में पुरातत्व विभाग और उसकी कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) भी आ गए हैं। पुरातत्व सूत्रों का कहना है कि टाउन हॉल संरक्षित स्मारक की श्रेणी में आता है। विभाग ने म्यूजियम निर्माण के लिए टाउन हॉल को एडमा को सौंप रखा है और हैरानी की बात है कि एडमा का कार्यालय भी इसी भवन में होने के बावजूद पेंटिंग का एडमा अधिकारियों को पता नहीं चला।

स्मारकों की बर्बादी पर विभाग मौन
प्रदेश की राजधानी में पुरा स्मारकों के बुरे हाल हैं, तो फिर सोचा जा सकता है कि प्रदेशभर के स्मारकों के क्या हाल होंगे। पुरातत्व नियमों के अनुसार स्मारकों को नुकसान पहुंचाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा, कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे में नगर निगम के आयुक्त, स्वच्छता सर्वेक्षण के नोडल अधिकारी और पेंटिंग करने वाले ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए लेकिन अभी तक विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पूर्व स्मार्ट सिटी ने दरबार स्कूल में संरक्षित परकोटे और बुर्ज को ढहा दिया था लेकिन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। हकीकत यही है कि स्मारकों को कोई भी नुकसान पहुंचा दे, लेकिन विभाग के नाकारा अधिकारी कार्रवाई करने से बचते हैं।

बोलने से बच रहे जिम्मेदार
वर्ल्ड हैरिटेज सिटी में संरक्षित स्मारक का मूल स्वरूप बिगाड़ने के मामले में अब जिम्मेदार बोलने से भी बच रहे हैं, मानो उन्हें सांप सूंघ गया हो। इस आपराधिक गलती के लिए महापौर मुनेश गुर्जर, निगम आयुक्त लोकबंधु, हवामहल-आमेर जोन के उपायुक्त सुरेंद्र यादव, पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा, एडमा कार्यकारी निदेशक (कार्य) सतेंद्र कुमार से फोन पर जानकारी चाही गई लेकिन ये सभी जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में बोलने से बचते रहे।

 

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