जयपुर

अगले विधानसभा चुनावों में क्या कांग्रेस भी बदलेगी चेहरे? भाजपा की रणनीति को देख कांग्रेस में भी हलचल तेज

भाजपा अगले विधानसभा चुनावों में जयपुर में सभी चेहरों को बदल सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को विधानसभा प्रत्याशी बनाया जाएगा। भाजपा की रणनीति को देखकर कांग्रेस में भी हलचल तेज हो गई है और कहा जा रहा है कांग्रेस भी भाजपा को उसी की चाल से मात देने के लिए अपनी रणनीति बदल सकती है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि भाजपा में चल रही गुटबाजी, हरियाणा में भाजपा के खिलाफ माहौल को देखकर कांग्रेस आश्वस्त होकर बैठी है कि राजस्थान में भी मोदी विरोधी लहर आएगी और अगली सरकार उनकी ही बनेगी, लेकिन भाजपा सत्ता प्राप्ति के लिए जिस तरह से रणनीति में फेरबदल कर रही है, उसी हिसाब से कांग्रेस भी अपनी रणनीति में फेरबदल कर सकती है और इसकी परिणिति जयपुर के चेहरों में बदलाव के रूप में आ सकती है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी से ही इस दिशा में होमवर्क करना शुरू कर दिया है, क्योंकि कांग्रेस अगले चुनाव गहलोत के निर्देशन में ही लड़ेगी।

चेहरे बदले तो दोबारा बनेगी सरकार
कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2003 और 2013 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय भी कांग्रेस में चेहरे बदलने की मांग हुई थी, लेकिन बदलाव नहीं हुआ और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। यदि उस समय चेहरे बदल दिए जाते तो कांग्रेस दोबारा सत्ता में आती। कांग्रेस इस बार भी सत्ता में है और भाजपा की रणनीति को जानने के बाद भी यदि चेहरों को बदला नहीं जाता है तो कांग्रेस को इस बार भी हार का मुंह देखना पड़ सकता है।

हारने वालों का कटेगा टिकट
सूत्र बता रहे हैं कि अगले चुनावों में जयपुर से हारे हुए प्रत्याशियों के टिकट कटना तय माना जा रहा है। पिछले चुनावों में कांग्रेस को जयपुर की सांगानेर, मालवीय नगर, विद्याधर नगर और आमेर में हार का सामना करना पड़ा था। आवैसी फैक्टर के कारण किशनपोल और आदर्शनगर में भी बदलाव किया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस की तरफ से इन दोनों सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग से ही उम्मीदवार उतारे जाएंगे, लेकिन चेहरे ऐसे होंगे जो अल्पसंख्यक वोटो का बिखराव रोकने में कामयाब हो जाए। यदि इन दोनों सीटों पर बदलवा नहीं किया गया तो यह सीटें ओवेसी फैक्टर डुबो देगा।

सरकार बनाने और बचाने वालों को मिलेगा ईनाम
सूत्र बता रहे हैं कि जिन निर्दलिय विधायकों ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दिया और बगावत के समय सरकार के साथ खड़े रहे, उन्हें वफादारी के लिए अगले चुनावों में कांग्रेस के टिकट के रूप में ईनाम दिया जा सकता है और इनके खिलाफ कांग्रेस से चुनाव लड़ने वालों का पत्ता कट सकता है।

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